Home बड़ी खबरेnews हिमाचल का नया कानून! भर्ती परीक्षा में नकल कराने वालों की खैर नहीं, 10 साल तक जेल और 1 करोड़ जुर्माना

हिमाचल का नया कानून! भर्ती परीक्षा में नकल कराने वालों की खैर नहीं, 10 साल तक जेल और 1 करोड़ जुर्माना

Himachal's new law! Those who cheat in recruitment exams face up to 10 years in prison and a fine of 1 crore rupees.

हिमाचल प्रदेश में सरकारी नौकरी की आस लगाए बैठे लाखों मेहनती युवाओं के लिए एक ऐतिहासिक और राहत भरी खबर है। राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं की पवित्रता भंग करने वाले और पेपर लीक जैसे संगठित अपराधों को अंजाम देने वाले नकल माफिया के खिलाफ सरकार ने अब तक का सबसे सख्त कदम उठाया है।

 

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की औपचारिक मंजूरी मिलने के बाद ‘हिमाचल प्रदेश लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण अधिनियम 2025’ पूरे राज्य में तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। मानसून सत्र में विधानसभा से पारित इस कानून का मुख्य उद्देश्य मेधावी छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करना और भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता लाना है।

 

अब पुलिस को सीधी गिरफ्तारी का अधिकार

 

नए कानून के तहत पेपर लीक और नकल को बेहद गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसे गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध बनाया गया है, जिसका सीधा मतलब है कि पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकेगी और आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलेगी।

 

नए कानून के तहत सजा के कड़े प्रावधान

 

जेल और जुर्माना: भर्ती परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने, पेपर लीक करने या इसमें सहयोग करने वाले दोषी व्यक्ति को कम से कम 5 साल और अधिकतम 10 साल तक की कठोर कारावास की सजा होगी। इसके साथ ही दोषी पर एक करोड़ रुपये तक का भारी-भरकम जुर्माना भी लगाया जाएगा।

 

सेवा प्रदाताओं पर शिकंजा: यदि परीक्षा आयोजित करने वाली कोई कंपनी या एजैंसी धांधली में शामिल पाई जाती है, तो उसे भी बख्शा नहीं जाएगा।

 

1. संबंधित फर्म पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगेगा।

2. परीक्षा आयोजित करने में आया पूरा खर्च उसी एजैंसी से वसूला जाएगा।

3. एजैंसी को 4 साल के लिए ब्लैकलिस्ट (प्रतिबंधित) कर दिया जाएगा।

4. कंपनी के निदेशकों या कर्मचारियों की संलिप्तता साबित होने पर उन्हें भी 3 से 10 साल तक की जेल हो सकती है।

 

हमीरपुर चयन आयोग प्रकरण बना बड़ा कारण

 

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश में पेपर लीक के कई बड़े मामले सामने आए थे, जिसके चलते पूर्ववर्ती कर्मचारी चयन आयोग, हमीरपुर को भंग करना पड़ा था। इन घटनाओं ने हजारों छात्रों के विश्वास को तोड़ा था। इसी को देखते हुए सरकार ने यह सख्त कानून बनाया है।

 

डीएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे जांच

 

इस कानून की गंभीरता को देखते हुए जांच का स्तर भी ऊंचा रखा गया है। अब ऐसे मामलों की जांच पुलिस उप अधीक्षक (DSP) स्तर से नीचे का अधिकारी नहीं कर सकेगा, साथ ही सरकार के पास यह शक्ति होगी कि वह मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच किसी विशेष एजेंसी को भी सौंप सके। इस कानून के लागू होने से उम्मीद है कि राज्य में भर्ती परीक्षाएं अब भयमुक्त और निष्पक्ष वातावरण में संपन्न हो सकेंगी।

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