Home बड़ी खबरेnews सुक्खू सरकार से डेढ़ साल में नहीं खुली ये सड़क- बुरी तरह फंसी बारात, दूल्हे ने निकाली भड़ास, बच्चों को सुबह 6 बजे ही खतरनाक पैदल रास्ते से निकलना पड़ता है

सुक्खू सरकार से डेढ़ साल में नहीं खुली ये सड़क- बुरी तरह फंसी बारात, दूल्हे ने निकाली भड़ास, बच्चों को सुबह 6 बजे ही खतरनाक पैदल रास्ते से निकलना पड़ता है

This road hasn't opened in a year and a half under the Sukhu government - wedding processions are badly stranded, groom vents his anger, children have to walk dangerously at 6 a.m.

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में पिछले डेढ़ साल से बंद पड़े रास्ते को सुक्खू सरकार खोल नहीं पाई है। रास्ता ना होने के कारण लोगों को कई दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। स्थिति इतनी बदतर है कि शादी जैसे शुभ अवसरों पर भी लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

डेढ़ साल में नहीं खुली ये सड़क

दरअसल, डलहौजी विधानसभा क्षेत्र में शेरपुर–चौहड़ा मार्ग पिछले करीब डेढ़ साल से बंद पड़ा है। जिसका खामियाजा पूरे क्षेत्र की जनता उठा रही है। सड़क बहाल न होने से जहां आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है, वहीं स्कूल जाने वाले बच्चों से लेकर मरीजों तक, सभी को हर दिन खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ रहा है।

 

दूल्हे का फूटा गुस्सा

बीते दिन सामने आया एक मामला इस समस्या की गंभीरता को उजागर करता है। दूल्हे पंकज ठाकुर ने बताया कि सड़क बंद होने के कारण उसकी बारात को दो हिस्सों में बांटना पड़ा।

 

दूल्हा खुद संकीर्ण वैकल्पिक रास्ते से छोटी गाड़ी में बनीखेत पहुंचा। जबकि बारातियों को लगभग 30 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाकर दूसरी तरफ से बस के माध्यम से आना पड़ा।

 

दूल्हा और बाराती हुए अलग-अलग

दूल्हे ने कहा कि यह रास्ता क्षेत्र की जीवनरेखा है और इतने लंबे समय तक बंद रहने से लोगों को बेहद कष्ट सहने पड़ रहे हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि जल्द से जल्द सड़क बहाल की जाए ताकि आम जनता को राहत मिल सके।

 

खतरनाक पैदल रास्ता बना मजबूरी

सड़क बंद होने के बाद जो वैकल्पिक रास्ता बचा है, वह न तो सुरक्षित है और न ही सुविधाजनक। विशेषकर गरीब ग्रामीणों के पास वाहन की सुविधा न होने के कारण उन्हें रावी नदी के किनारे बने खतरनाक पैदल रास्ते से गुजरना पड़ता है।

 

रात में जंगली जानवरों का डर

रात के अंधेरे में यह रास्ता और भी जोखिम भरा है। आए दिन जंगली जानवरों की आवाजाही, ग्रामीणों में हमेशा डर बना रहता है। बीमार व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह स्थिति किसी आपदा से कम नहीं है, और सड़क बहाली की प्रक्रिया में इतनी लंबी देरी समझ से परे है।

 

स्कूल जाने वाले बच्चे भी परेशान

स्थानीय लोगों ने बताया कि रोजमर्रा की समस्याओं में सबसे अधिक परेशानी बच्चों को स्कूल भेजने में हो रही है। बस सेवा बंद होने के कारण बच्चों को सुबह 6 बजे ही खतरनाक पैदल रास्ते से निकलना पड़ता है।

 

गरीब परिवारों पर बोझ

टैक्सी किराया देना पड़ता है, जो गरीब परिवारों के लिए बड़ा बोझ है। हर रोज दुर्घटना और गिरने का डर बना रहता है। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन और विभाग बस आश्वासन देते हैं, लेकिन अब तक बच्चोें व बुजुर्गों की तकलीफों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

 

PWD और NHPC के बीच जिम्मेदारी का संघर्ष

सबसे बड़ी समस्या यह है कि सड़क के रख-रखाव और मरम्मत को लेकर PWD और NHPC एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे हैं। PWD कहता है सड़क NHPC की जिम्मेदारी है। जबकि, NHPC इसे PWD का मामला बताता है। इस गुमराह करने वाली स्थिति में आम जनता पिछले डेढ़ साल से परेशान है और दोनों विभागों के बीच फाइलें घूम रही हैं, लेकिन सड़क पर एक पत्थर भी नहीं हटाया गया।

 

मंत्री विक्रमादित्य सिंह का आश्वासन

कुछ दिन पहले अपने चंबा दौरे के दौरान लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने लोगों को आश्वासन दिया था कि शेरपुर–चौहड़ा मार्ग जल्द खोल दिया जाएगा। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि आश्वासन के अलावा अब तक जमीन पर कोई काम नहीं हुआ है। लोगों ने कहा कि सड़क बंद होने से खेती-बाड़ी प्रभावित हो रही है। आपातकालीन सेवाए बाधित हैं।आर्थिक गतिविधियां ठप हैं और ग्रामीण इलाकों से पलायन का खतरा बढ़ रहा है

 

स्थानीय जनता की सरकार से गुहार

ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि शेरपुर–चौहड़ा मार्ग को अविलंब बहाल किया जाए। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक सड़क नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की जीवनरेखा है।अगर जल्द कार्रवाई न हुई, तो आने वाले दिनों में स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है।

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