Home बड़ी खबरेnews जालंधर में बच्ची से रेप और ह/त्या के बाद दहला पंजाब, माता-पिता की उड़ी नींद

जालंधर में बच्ची से रेप और ह/त्या के बाद दहला पंजाब, माता-पिता की उड़ी नींद

Punjab shaken after the rape and murder of a girl in Jalandhar, parents are worried.

जालंधर में 13 साल की बच्ची के साथ उसके पड़ोसी द्वारा कथित बलात्कार कर बेरहमी से हत्या करने की घिनौनी वारदात ने न केवल आम लोगों के मन को झिंझोड़कर रख दिया है, बल्कि इलाके में भारी रोष की लहर दौड़ गई है। खास तौर पर छोटी बच्चियों और बेटियों के माता-पिता के अंदर डर और बढ़ गया है और कई लोग अपने घरों के पास रहने वाले प्रवासियों और अन्य पड़ोसी लोगों से ही अंदर ही अंदर भय महसूस कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जहां ऐसे मामले आम जनता के भीतर डर पैदा करते हैं, वहीं बच्चियों और युवतियों के माता-पिता की चिंता पहले से कई गुना बढ़ गई है। इससे पहले भी कई स्थानों पर छोटी बच्चियों और नाबालिग लड़कियों से संबंधित ऐसी घटनाओं के बाद लोग पहले ही सहमे हुए थे और अब इस वारदात ने पुराने डर को फिर जगा दिया है।

 

देश में हर दिन दर्ज होते हैं बलात्कार के 86 मामले

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में बलात्कार महिलाओं के खिलाफ दर्ज होने वाला चौथा सबसे बड़ा अपराध है। 2021 में कुल 31,677 बलात्कार के मामले दर्ज हुए, यानी रोज़ औसतन 86 केस दर्ज हुए। ये आंकड़े 2020 के 28,046 मामलों से अधिक हैं, जबकि 2019 में यह संख्या 32,033 थी। रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि 31,677 मामलों में से 28,147 (लगभग 89%) मामलों में आरोपी पीड़िता को जानता था, चाहे रिश्तेदार, पड़ोसी या अन्य परिचित व्यक्ति। इसके अलावा पीड़िताओं में लगभग 10% नाबालिग थीं, यानी 18 वर्ष से कम।

 

दिल्ली पुलिस के 2019–2020 के आंकड़ों में भी 44% पीड़िताओं ने आरोपियों को रिश्तेदार या पारिवारिक सदस्य बताया। यही कारण है कि लोगों के मन में यह भय बैठ रहा है कि अपने ही परिचित लोग बेटियों के लिए दरिंदे बनकर सामने आ रहे हैं, जिसके कारण अब माता-पिता किसी पर भी भरोसा करने में हिचकिचाने लगे हैं। राजस्थान 2021 में सबसे अधिक बलात्कार के मामलों वाला राज्य रहा, इसके बाद मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश का स्थान रहा। महानगरों में दिल्ली 1,226 मामलों के साथ सबसे आगे रही।

 

सी.सी.टी.वी. कैमरों की मांग में बढ़ोतरी

जालंधर की ताजा घटना के बाद लोगों ने सुरक्षा को लेकर और ज्यादा सतर्कता दिखानी शुरू कर दी है। घरों, गलियों और बाजारों में लोग तेजी से सी.सी.टी.वी. कैमरे लगवा रहे हैं। दुकानदारों के अनुसार पिछले कुछ दिनों में सी.सी.टी.वी. कैमरों की मांग में तेज उछाल आया है। कई लोगों का कहना है कि यदि निगरानी व्यवस्था मजबूत हो तो घटनाओं को रोकने तथा अपराधियों की पहचान करने में काफी मदद मिल सकती है। आज के समय में यह एक बड़ी और तत्काल आवश्यकता बन गई है।

 

माता-पिता में दहशत, बच्चियों को बाहर भेजने का डर

इस वारदात ने माता-पिता में इतना भय पैदा कर दिया है कि अब वे अपने बच्चों को बाहर खेलने भेजने से भी डर रहे हैं। जिन माता-पिता ने बेटियों को पढ़ाई, काम या अन्य गतिविधियों के लिए घर से बाहर भेजा हुआ है, उनके मन में चिंता और बेचैनी और बढ़ गई है। बलात्कार के लगातार बढ़ते आंकड़ों ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या उनकी बेटियां वास्तव में सुरक्षित हैं? चाहे स्कूल हो या नौकरी हर जगह असुरक्षा की भावना बनी हुई है। कई परिवारों ने बच्चियों को शाम के बाद बाहर न निकलने की कड़ी हिदायत दे दी है। यह डर केवल परिवारों तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे समाज में फैलता दिखाई दे रहा है।

 

कानूनी सख्ती और नैतिक शिक्षा की जरूरत

ये सारे आंकड़े और घटनाएं इस बात की ओर संकेत करते हैं कि भले ही सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानूनी सुधार किए हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। समाजशास्त्रियों और विधि विशेषज्ञों का मानना है कि मामलों की तुरंत जांच की जाए और कानूनी कार्रवाई को गति देकर अपराधियों को ऐसी कठोर और मिसाल पेश करने वाली सजा दी जाए कि दोबारा कोई भी अपराधी ऐसी गंदी हरकत करने से पहले सौ बार सोचे। बच्चों, युवाओं और समाज के अन्य वर्गों को नैतिक शिक्षा देना भी बहुत आवश्यक है। ऐसे अपराध करने वालों को न केवल कानून के घेरे में लाकर कड़ी सजा दी जानी चाहिए, बल्कि उनका स्पष्ट सामाजिक बहिष्कार भी होना चाहिए।

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