मानसून सीजन के बाद शरद और फिर हेमंत ऋतु का दौर शुरू हो जाता है। अक्तूबर से नवम्बर माह शरद ऋतु और उसके बाद दिसम्बर और जनवरी माह हेमंत ऋतु का होता है। सर्दी का यह मौसम भी सेहत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहता है। लिहाजा इस मौसम में खानपान को लेकर भी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। खानपान में छोटी-छोटी गलतिया भी आपके लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं। आयुर्वेद चिकित्सा में उपरोक्त दोनों ऋतुओं में भी खानपान का विशेष महत्व बताया गया है। यदि आप इस डाइट प्लान को अपनाएंगे तो शरीर हैल्दी और फिट रहेगा।
पंजाब केसरी से विशेष बातचीत करते हुए पांवटा साहिब आयुर्वेदिक अस्पताल में तैनात वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक (विशेषज्ञ) डा. प्रमोद पारिक ने बताया कि शरद ऋतु और हेमंत ऋतु में लोगों को स्वस्थ रहने के लिए क्या खाना चाहिए और किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर ऋतु में स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने के लिए आयुर्वेद में विशेष आहार-विहार का वर्णन किया गया है और इसके तहत उपरोक्त दोनों ऋतुओं में भी सही डाइट प्लान फॉलो करने की आवश्यकता है।
नवम्बर तक करें हल्का भोजन
नवम्बर माह तक शरद ऋतु में हल्का भोजन करना चाहिए और पेट साफ करना हितकर है। मधुर रस एवं शीतल आहार लेना, नीम, करेला आदि का उपयोग करना, चावल, जौ का सेवन करना चाहिए। करेला, परवल, तुरई, मेथी, लौकी, पालक, मूली, संघाड़ा, अंगूर, टमाटर, फलों का रस, सूखे मेवे, नारियल का प्रयोग करें। इलायची, मुन्नकादाख, खजूर व घी का प्रयोग भी जरूरी है। त्रिफला चूर्ण, अमलताश का गुद्दा, छिलके वाली दालें व मसाले रहित सब्जी का प्रयोग करें।
प्रातः काल गुनगुने पानी के साथ नींबू के रस का सेवन करें। रात्रि में हरड़ चूर्ण का प्रयोग विशेष लाभदायक है। तेल की मालिश, हल्के व्यायाम व प्रातः काल भ्रमण करना चाहिए। शीतल जल से स्नान करना चाहिए। हल्के वस्त्र धारण करें। रात्रि में चंद्रमा की किरणों का सेवन करें और चंदन व मुल्तानी मिट्टी का लेप भी लाभदायक है।
न करें ये काम
डा. पारिक ने बताया कि दिसम्बर और जनवरी माह में ठंडा भोजन, वायु बढ़ाने वाले आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। बहुत कम मात्रा में भोजन और बहुत पतला भोजन न करें। इसके अलावा दिन में न सोएं और इस मौसम में ठंडी हवा हानिकारक साबित हो सकती है। लिहाजा अधिक हवादार स्थान में नहीं रहना चाहिए। नंगे पांव बिल्कुल न रहें और हल्के व सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए।
रोगों की बढ़ जाती संभावना
डा. पारिक ने बताया कि नवम्बर माह तक चलने वाली शरद ऋतु में बुखार, त्वचा-विहार, दाह-जलन, उल्टी, सिरदर्द, चक्कर आना, खट्टी डकारें, जलन, प्यास, कब्ज, अफारा, अपचन, जुकाम, अरुचि आदि रोगों की संभावना अधिक होती है। इस मौसम में गर्म तासीर वाले लोगों को अधिक कष्ट होता है। वहीं दिसम्बर और जनवरी में हेमंत ऋतु में वायु के रोग, वायु व कफ के रोग, अधरंग, दमा, पैर के तलवे व हाथों में बिवाई फटना व नजला-जुकाम होने की ज्यादा संभावना रहती है।
सर्दी से बचाव के लिए अपनाए ये तरीके
उन्होंने बताया कि हेमंत ऋतु में शरीर पर उबटन लगाना, तेल की मालिक करना, गुनगुने पानी से नहाना, ऊनी कपड़ों का प्रयोग करें। सिर, कान, नाक, पैर के तलुओं पर मालिश करें। गर्म और गहरे रंग के कपड़े पहनें। आग तापना व धूप का सेवन लाभदायक है। इसके अलावा हाथ-पैर धोने के लिए गुनगुने पानी को प्रयोग में लाएं। जूते, मौजे, दस्ताने, टोपी, मफलर, स्कार्फ व ढाटू आदि भी पहनें।
दिसम्बर और जनवरी में अपनाएं यह डाइट प्लान
डा. पारिक ने बताया कि शरद ऋतु के बाद दिसम्बर और जनवरी में हेमंत ऋतु में शरीर संशोधन के लिए वमन व कुंजल (नमकीन पानी पीकर उल्टी करना) आदि करें। स्निग्ध, मधुर, गुरु (भारी), लवण युक्त गर्म भोजन का सेवन करें। घी, तेल युक्त आहार लें। गोंद, अश्वगंध, मेथी के लड्डू, कौंच पाक, चयव्नप्राश, सूखे मेवे, नए चावल आदि का सेवन हितकारी है।
इन चीजों का नहीं करना चाहिए सेवन
वरिष्ठ चिकित्सक के अनुसार शरद ऋतु में मैदे से बनी हुई वस्तुएं, गर्म, तीखा, भारी, मसालेदार भोजन और तेल में बने हुए खाद्य पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। दही व मछली का प्रयोग न करें। अमरूद को खाली पेट न खाएं। कंद शाक, वनस्पति घी, मूंगफली, भूट्टे, कच्ची ककड़ी का अधिक सेवन न करें। दिन में न सोएं। मुंह ढककर न सोएं और धूप से बचें।