शहर को सुंदर और आकर्षक बनाने के नाम पर चलाए जा रहे नगर निगम के ब्यूटीफिकेशन अभियान की पोल उस समय खुलती नजर आई थी जब निगम ने कुछ दिन पहले पटेल चौक के बीचों-बीच एक स्ट्रक्चर बनाने की योजना बनाई थी, जिसके लिए वहां बड़ी खुदाई की गई थी। चाहे अब यह योजना रद्द कर दी गई है लेकिन वहां हुई खुदाई को अब तक नहीं भरा गया, जिससे वहां का ट्रैफिक और वाहनों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
बताया गया था कि इस स्ट्रक्चर पर किसी अस्पताल का विज्ञापन लगाने की योजना थी। जब यह बात मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए सामने आई तो नागरिकों में नाराजगी फैल गई और इस कदम की व्यापक आलोचना हुई। लोगों ने कहा कि ऐसे स्ट्रक्चर ट्रैफिक व्यवस्था को बाधित करेंगे और सड़क सुरक्षा के लिए खतरा बनेंगे।
लगातार आलोचना के बाद नगर निगम ने इस योजना से यू-टर्न लेते हुए स्ट्रक्चर निर्माण रोक दिया और आश्वासन दिया कि खुदाई को जल्द ही भर दिया जाएगा। मगर कई दिन बीत जाने के बावजूद अब तक वहां मिट्टी के ढेर और खुला गड्ढा जस का तस पड़ा है। इसके चलते धूल और मिट्टी के कारण आसपास का माहौल भी प्रदूषित हो गया है। राहगीरों और वाहन चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि निगम ने अगर खुदाई की थी, तो उसे तुरंत भरने की जिम्मेदारी भी उसी की बनती है। परंतु जैसे कई अन्य विकास कार्यों में अधूरापन और लापरवाही दिखाई देती है, वैसा ही हाल यहां भी देखने को मिल रहा है। यह मामला न केवल निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिना उचित प्लानिंग और फील्ड मॉनिटरिंग के चल रहे प्रोजैक्ट कैसे जनता के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं।