इस बार की दीवाली ने हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नई उम्मीद जगाई है। भले ही लोगों ने रोशनी के इस पर्व पर पारंपरिक रूप से पटाखे चलाए, लेकिन नियमों के प्रति बढ़ी जागरूकता का सुखद परिणाम सामने आया है। वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आकलन के अनुसार, पटाखों के बावजूद हवा की गुणवत्ता में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई और यह ‘खराब’ या ‘गंभीर’ श्रेणी तक नहीं पहुंची। यह संतोषजनक नतीजा दिखाता है कि प्रदेशवासी अब अपने पर्यावरण के प्रति अधिक ज़िम्मेदार हो रहे हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दीवाली (20 अक्टूबर) और उससे पहले (13 से 19 अक्टूबर) तक प्रदेश के कुल 12 प्रमुख स्थानों – शिमला, परवाणू, धर्मशाला, डमटाल, सुंदरनगर, पांवटा साहिब, कालाअंब, ऊना, बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ और मनाली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) की गहन जांच की। त्योहार से पूर्व AQI ‘अच्छी’ से ‘मध्यम’ श्रेणी में था, और दीवाली के दिन यह ‘संतोषजनक’ से ‘मध्यम’ के बीच दर्ज किया गया।
हालांकि पटाखों के कारण अधिकांश जगहों पर AQI में थोड़ा उछाल देखा गया और औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर मामूली रूप से बढ़ा, लेकिन सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल प्रदूषण के स्तर में काफी सुधार दर्ज किया गया है। शिमला, परवाणू, डमटाल, सुंदरनगर, पांवटा साहिब, कालाअंब, बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ और मनाली जैसे दस शहरों की हवा पिछले साल से बेहतर हुई है। हालांकि, धर्मशाला और ऊना में पिछले वर्ष के मुकाबले प्रदूषण में वृद्धि दर्ज की गई है।
कुल मिलाकर, इस दीवाली हिमाचल की हवा काफी हद तक नियंत्रण में रही, जो यह दर्शाता है कि पर्यावरण नियमों का पालन करने और जागरूकता बढ़ाने की दिशा में किए जा रहे प्रयास सही मायने में फलित हो रहे हैं।