Home बड़ी खबरेnews बीते साल के मुकाबले हिमाचल प्रदेश में बढ़ा सेब उत्पादन, औसत दाम घटे

बीते साल के मुकाबले हिमाचल प्रदेश में बढ़ा सेब उत्पादन, औसत दाम घटे

Apple production in Himachal Pradesh increased compared to last year, average prices decreased

हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन सिमटने को है। इस साल अब तक प्रदेश में 2 करोड़ 54 लाख पेटी सेब का कारोबार हो चुका है। एमआईएस के तहत सरकार ने 82 हजार मीट्रिक टन सेब की खरीद पूरी कर ली है। हालांकि, 15 नवंबर तक सेब सीजन जारी रहेगा। बीते साल के मुकाबले इस साल सेब उत्पादन बढ़ा है, लेकिन सेब की औसत कीमत में गिरावट आई है। साल 2024 में सेब को 1500 रुपये प्रति बॉक्स औसत दाम मिले थे। इस साल 1200 से 1300 रुपये औसत दाम मिले हैं। उत्पादन अधिक होने के बावजूद मौसम की मार से सेब की गुणवत्ता प्रभावित हुआ, जिससे बागवानों को फसल के संतोषजनक दाम नहीं मिल पाए।

 

इस सीजन में भारी बारिश और पतझड़ से सेब की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। सीजन की शुरुआत में फसल अधिक होने के कारण निचले ऊंचाई वाले क्षेत्रों से कच्चा सेब मार्केट में आ गया, जिससे दाम गिर गए। सरकार ने एमआईएस के तहत सेब खरीद केंद्र देरी से खोले, जिसके कारण कम गुणवत्ता का सेब मार्केट में आ गया। यह भी दाम गिरने का कारण बना। सितंबर के अंत में कश्मीर का सेब मंडियों में पहुंचने से भी हिमाचल के सेब की मांग घट गई और कीमतों में गिरावट आई। किन्नौर में सेब सीजन ने रफ्तार पकड़ ली है। अब तक करीब 15 लाख पेटी सेब का कारोबार हो चुका है। करीब 5 लाख पेटी सेब मार्केट में पहुंचना बाकी है।

शिमला और कुल्लू के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से भी सेब मार्केट में जा रहा है। बीते साल तीन अक्तूबर तक प्रदेश में 1 करोड़ 80 लाख पेटी सेब का कारोबार हुआ था। हिमाचल प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड की मंडियों में करीब 1 करोड़ 24 लाख 30 हजार, जबकि मंडियों के बाहर 1 करोड़, 34 लाख 86 हजार पेटी सेब का कारोबार हो चुका है। मंडी जिला में सेब सीजन लगभग पूरा हो गया। एक अक्तूबर तक 49177.910 मीट्रिक टन सेब मंडियों को रवाना हो चुका है। कुल्लू जिला में सेब का सीजन अंतिम दौर में है। 32 लाख सेब पेटियों का कारोबार हो चुका है। बागवानी विभाग ने 65 लाख सेब पेटी उत्पादन का अनुमान जताया था, लेकिन ड्राॅपिंग से इसमें गिरावट के आसार हैं।

 

यूनिवर्सल कार्टन से रुकी बिचौलियों की मनमानी

सेब सीजन में यूनिवर्सल कार्टन को सख्ती से लागू किया गया जिससे बिचौलियों की मनमानी पर लगाम लगी और बागवानों को फसल के अच्छे दाम मिले। अधिक बारिश होने से सेब की फसल को नुकसान हुआ, मौसम साथ देता तो करीब 25 लाख बॉक्स और अधिक उत्पादन होता। बागवानों को इस सीजन में रेट भी अच्छे मिले हैं। सेब की मार्केटिंग को और अधिक बेहतर बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है। – जगत सिंह नेगी, बागवानी मंत्री

बीते साल से 200 रुपये तक घटा एवरेज रेट : हरीश

इस साल भारी बारिश और पतझड़ से सेब की क्वालिटी प्रभावित हुई, लो हाइट से कच्चा सेब मार्केट में आने से नुकसान हुआ, एमआईएस के सेब खरीद केंद्र देरी से खुलने के कारण सी ग्रेड सेब मार्केट में आने से भी सेब के रेट गिरे। पिछले साल के मुकाबले इस साल एवरेज रेट करीब 200 रुपये तक घटा। सरकार को मार्केटिंग पर ध्यान देने की जरूरत है। – हरीश चौहान, संयोजक, संयुक्त किसान मंच

 

छह साल में सेब उत्पादन

 

2019-20 3,57,62,650

2020-21 2,40,53,099

2021-22 3,05,95,058

2022-23 3,36,17,133

2023-24 1,78,72,025

2024-25 1,80,52,338 (3 अक्तूबर 2024 तक)

2025-26 2,59,16,410 (3 अक्तूबर 2025 तक)

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