कुल्लू जिले के भूस्खलन प्रभावित 89 गांवों का अध्ययन विशेषज्ञों की टीम करेगी। भूस्खलन के कारणों का पता लगाया जाएगा। इसके लिए उपायुक्त कुल्लू ने एक कमेटी का गठन किया है। एसडीएम की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में छह सदस्यों को शामिल किया गया है। इसमें जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान मौहल के आपदा विशेषज्ञ भी शामिल हैं। अगले साल मानसून से पहले इसकी रिपोर्ट तैयार होगी। भारी भूस्खलन के कारणों को तलाशने के अलावा गांवों को कैसे संरक्षित करना है, इसके भी उपाय तलाशे जाएंगे।
कुल्लू में इस बार बरसात में शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों में भारी नुकसान हुआ है। कई गांवों का वजूद पूरी तरह से खतरे में है। करीब ढाई माह तक लगातार बारिश के कारण भारी तबाही हुई है। 2023 की बाढ़ और आपदा की घटनाओं के दौरान जिले के कई इलाके भू-धंसाव से प्रभावित हुए थे। जिला प्रशासन ने ऐसे संवेदनशील गांवों की पहले ही पहचान कर ली थी। इस बार 2023 के साथ-साथ नए क्षेत्र और गांव भूस्खलन को लेकर संवेदनशील बनकर उभरे हैं। एसडीएम की अध्यक्षता में कमेटी का गठन का किया गया है। इसमें एसडीएम, वन विभाग से एसीएफ या डीएफओ, खंड विकास अधिकारी, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग, अधिशासी अभियंता जल शक्ति विभाग और जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान मौहल के विशेषज्ञ को शामिल किया गया है। भूस्खलन से प्रभावित जिले के 71 पटवार सर्कलों में 89 भूस्खलन प्रभावित गांवों में सबसे अधिक निरमंड खंड के 29 गांव शामिल हैं। इसके अलावा बंजार के 24, आनी के 19, कुल्लू के 12 और मनाली खंड में पांच गांव शामिल हैं।