मनोज :-फतेहपुर की ग्राम पंचायत लाड़थ में सरकारी सीमेंट के इस्तेमाल में घोर लापरवाही सामने आई है। इससे पंचायत के विकास पर सवाल उठने लगे हैं। करीब 50 से 60 बोरी सरकारी सीमेंट महिला मंडल भवन (पुराना पंचायत भवन) में एक साल से ज्यादा समय से पड़ी थी, जो अब खराब होकर पक्का पत्थर बन चुकी हैं।
यह सीमेंट पंचायत के काम के लिए था लेकिन लापरवाही की भेंट चढ़ गया। इस घटना ने पंचायत में लाखों के घोटाले की आशंका को जन्म दिया है, जिस पर पंचायत के सदस्यों और प्रधान के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इस मामले ने पंचायत के भीतर ही आपसी खींचतान को उजागर कर दिया है।
पंचायत सदस्य सुशील कुमार ने चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि उनके पास 10 दिसंबर 2024 का फोटो सबूत है, जो यह साबित करता है कि सीमेंट तभी से भवन में रखा गया था। उन्होंने कहा कि यह सीमेंट अब पत्थर बन चुका है। अगर मामले की गहन और निष्पक्ष जांच हो तो पंचायत में लाखों रुपये का घपला सामने आ सकता है।
उधर, पंचायत उपप्रधान संजय कुमार ने भी प्रधान पर मनमानी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सीमेंट काफी समय से महिला मंडल भवन में पड़ा हुआ है। प्रधान जो भी काम करती हैं, अपनी मर्जी से करती हैं।
दूसरी ओर पंचायत प्रधान संजना देवी ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए एक अलग ही कहानी पेश की। उन्होंने कहा कि यह सीमेंट महज 2-3 महीने पहले आया था, लेकिन बारिश की वजह से इसका इस्तेमाल नहीं हो सका। मगर उनके इस बयान और पंचायत सदस्य के दिसंबर 2024 के सबूतों में सीधा विरोधाभास है।
सवालों के घेरे में पंचायत का प्रबंधन
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पंचायत का सरकारी सीमेंट गोदाम नकोदर में है तो यह सीमेंट महिला मंडल भवन में क्यों रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक यह सीमेंट पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर माह में एक लाभार्थी के डंगे के निर्माण के बाद बचा था। इससे यहां रखा गया है। महिला मंडल प्रधान साहनी देवी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि यह सीमेंट पंचायत प्रधान द्वारा इस भवन में रखवाया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि भवन की चाबी उनके पास वर्ष 2011 से है।
बीडीओ ने दिए जांच के आदेश
मामले की जानकारी मिलते ही बीडीओ फतेहपुर सुभाष अत्री ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने कहा कि मुझे मामले की जानकारी मिली है। मैंने मामले की जांच के लिए पंचायत निरीक्षक को कह दिया है और जो भी जांच होगी, निष्पक्ष तरीके से की जाएगी। अब देखना यह होगा कि इस जांच में क्या सच्चाई सामने आती है और सरकारी सीमेंट को इस तरह बर्बाद करने के लिए कौन जिम्मेदार पाया जाता है।