Home बड़ी खबरेnews टापू कालू वाला के खेतों में रेत, घरों में कीचड़… लोगों का एक ही सवाल-कहां से शुरुआत करें

टापू कालू वाला के खेतों में रेत, घरों में कीचड़… लोगों का एक ही सवाल-कहां से शुरुआत करें

On the island of Kaluwala, fields are sandy, homes are muddy… people have only one question: where do they start?

by punjab himachal darpan

भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे टापू कालू वाला से बाढ़ का पानी उतरने के बाद बर्बादी साफ दिखने लगी है। खेती की जमीन पर रेत के पांच फीट ऊंचे टीले बन गए हैं। जहां फसलें लहलहाती थीं, वहां वीरानगी पसरी है।

ग्रामीणों का कहना है कि जमीन के बिना वे कैसे जिंदा रह सकते हैं। टापू की तकरीबन सौ एकड़ जमीन दरिया में समा गई है। सतलुज दरिया का उफान ऐसे ही तबाही मचाता रहा तो धीरे-धीरे टापू गायब हो जाएगा।

मकानों के अंदर दो-दो फीट कीचड़

कालू वाला के मलकीत सिंह का कहना है कि इस बार वर्ष 2023 की बाढ़ से ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्हें धान की फसल से कर्ज उतारने की उम्मीद थी, जो बाढ़ ने खत्म कर दी है। अब तो इतने पैसे भी नहीं कि खेत से रेत के टीले हटा कर जमीन उपजाऊ कर लें। मकान टूट गए। जो सही हैं, उनके अंदर दो-दो फीट कीचड़ भर गया। घर का सामान कीचड़ और रेत में खराब हो चुका है। जिंदगी कहां से शुरू करें, कुछ समझ नहीं आ रहा। मदद करने के लिए अभी तक किसी ने हाथ नहीं बढ़ाया है।

 

ग्रामीण मक्खन सिंह ने बताया कि उनकी बड़ी नाव भी नष्ट हो चुकी हैं। गांव से शहर आना-जाना मुश्किल हो गया है। गांव में लगे हैंड पंप और ट्यूबवेल का पानी पीने लायक नहीं रह गया है। पानी में से बदबू आ रही है।

चूल्हा जलाने के लिए ईंधन तक नहीं

खेती के लिए जमीन नहीं बची है। जहां तक नजर जाती है रेत ही रेत के टीले दिखते हैं। कुछ मकान टूट गए और कुछ दरिया में गिर गए हैं। गांव में जो लोग रह रहे हैं उन्हें रोटी बनाने के लिए चूल्हा जलाने के लिए ईंधन तक नहीं है। ग्रामीणों के लिए अब दरिया में नाव चलाना भी मुश्किल है। बीएसएफ की नाव में ग्रामीण आते और जाते हैं।

सुरक्षित जगह पर प्लॉट मिले

ग्रामीण लखविंदर सिंह ने मांग की कि सरकार टापू कालू वाला के परिवारों को कहीं सुरक्षित जगह पर प्लॉट दे ताकि वे मकान बना कर रह सकें। वहीं, लोगों की मांग है कि उनके गांव को कोई गोद ले, तभी ये गांव बच सकता है नहीं तो दरिया में समा जाएगा।

You may also like