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सर्वपितृ अमावस्या 21 को, तर्पण और श्राद्ध का अंतिम दिन

Sarva Pitru Amavasya on 21st, the last day of Tarpan and Shraddha

by punjab himachal darpan

सनातन परंपरा में आश्विन मास की अमावस्या को अत्यधिक धार्मिक महत्व प्राप्त है। यह पितृपक्ष में किए जाने वाले श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का अंतिम दिन होता है। हिंदू मान्यता के अनुसार इसी दिन पितरों की विधिपूर्वक पूजा करने के बाद उनकी विदाई की जाती है।

पंडित राजिंद्र शास्त्री के अनुसार इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को पूर्वाह्न 12:16 से प्रारंभ होकर 22 सितंबर को पूर्वाह्न 01:23 बजे समाप्त होगी। इस दिन उदया तिथि के अनुसार पूजा और श्राद्ध किए जाएंगे।

पंचांग के अनुसार कुतुप मुहूर्त प्रात:काल 11:50 से 12:38 बजे तक होगी। रौहिण मुहूर्त 12:38 से 01:27 बजे तक और अपराह्न मुहूर्त 01:27 से 03:53 बजे तक होगा। उन्होंने कहा कि इस दिन तन और मन से पवित्र होकर अपने पितरों की तस्वीर दक्षिण दिशा में चौकी पर रखकर गंगाजल से पवित्र करना चाहिए। इसके बाद पुष्प-माला अर्पित, धूप-दीप दिखाना और पंचबलि निकालना अनिवार्य है।

पितरों के निमित्त विशेष रूप से भोग लगाया जाना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या से पहले दिन ही ब्राह्मणों को आदरपूर्वक आमंत्रित करना चाहिए और उन्हें भोजन कराने के साथ यथाशक्ति अन्न-धन का दान करना चाहिए।

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