भारत में फिजियोथेरेपी की मांग तेजी से बढ़ रही है। इलाज या सर्जरी के बाद मरीजों की रिकवरी में यह थेरेपी अहम भूमिका निभाती है। इस काम के लिए प्रशिक्षित और योग्य फिजियोथेरेपिस्ट जरूरी होते हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए साफ कर दिया है कि फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे ‘Dr.’ (डॉक्टर) का टाइटल नहीं लगा सकेंगे।
सरकार का आदेश
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) ने 9 सितंबर 2025 को एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे ‘Dr.’ लगाकर खुद को डॉक्टर के रूप में पेश नहीं कर सकते। ऐसा करना अब कानून का उल्लंघन माना जाएगा।विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
अप्रैल 2025 में नेशनल कमीशन फॉर अलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स (NCAHP) ने नया पाठ्यक्रम लागू किया था। इसमें फिजियोथेरेपिस्ट्स को अपने नाम के आगे ‘Dr.’ और पीछे ‘PT’ लगाने की अनुमति दी गई थी। NCAHP का कहना था कि इससे फिजियोथेरेपिस्ट्स की पहचान और गरिमा बढ़ेगी और उन्हें स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक महत्व मिलेगा। लेकिन इस फैसले का इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और कई अन्य मेडिकल संगठनों ने कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि इससे आम जनता में भ्रम पैदा होगा और लोग फिजियोथेरेपिस्ट को मेडिकल डॉक्टर समझ लेंगे। इसी विरोध के बाद केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर दिया कि फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे ‘Dr.’ का उपयोग नहीं कर सकते।
IMA का तर्क
IMA और अन्य संगठनों का कहना है कि ‘Dr.’ टाइटल सिर्फ MBBS या अन्य मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री धारकों को ही मिलना चाहिए। अगर फिजियोथेरेपिस्ट इस टाइटल का प्रयोग करेंगे, तो लोग यह मान बैठेंगे कि उन्हें भी दवाएं लिखने या मेडिकल निर्णय लेने का अधिकार है, जबकि ऐसा नहीं है।
कानूनी प्रावधान (legal provisions)
DGHS की ओर से जारी लेटर में डॉ. सुनीता शर्मा ने स्पष्ट किया कि भारतीय मेडिकल डिग्रीज एक्ट 1916 के तहत ‘Dr.’ टाइटल सिर्फ उन्हीं को मिल सकता है जिनके पास मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री है। अगर कोई फिजियोथेरेपिस्ट इस टाइटल का इस्तेमाल करता है तो यह कानूनी अपराध होगा। बता दें की पहले भी कई अदालतें इस पर फैसला दे चुकी हैं।
पटना हाईकोर्ट का फैसला
पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा था कि अगर कोई व्यक्ति राज्य मेडिकल रजिस्टर में दर्ज नहीं है, तो वह अपने नाम के आगे ‘Dr.’ नहीं लगा सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा करना कानून का उल्लंघन माना जाएगा, क्योंकि यह मरीजों और आम जनता को गुमराह कर सकता है।
मद्रास हाईकोर्ट का आदेश
मद्रास हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में साफ कहा था कि पैरामेडिकल स्टाफ या तकनीशियन को चिकित्सक (Doctor) नहीं माना जा सकता। इसलिए फिजियोथेरेपिस्ट या अन्य हेल्थकेयर टेक्नीशियन अपने नाम के आगे ‘Dr.’ का प्रयोग नहीं कर सकते। ऐसा करना लोगों को भ्रमित करेगा और कानून का उल्लंघन माना जाएगा।
क्यों जरूरी है यह रोक?
कोर्ट और चिकित्सा संगठनों का कहना है कि जब फिजियोथेरेपिस्ट अपने नाम के आगे ‘Dr.’ लिखते हैं, तो मरीजों में यह गलतफहमी होती है कि वे भी मेडिकल डॉक्टर हैं। लोग उम्मीद करने लगते हैं कि वे दवा लिख सकते हैं या मेडिकल निर्णय ले सकते हैं। यह गलत जानकारी मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए सरकार ने इस पर सख्त कदम उठाया है।