हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान IGMC शिमला से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। यहाँ एक महिला ‘फर्जी नर्स’ या टेक्नीशियन बनकर बेखौफ मरीजों का खून निकाल रही थी। यह खेल न जाने कब से चल रहा था, इसका खुलासा तब हुआ जब अस्पताल प्रशासन ने खुद जाल बिछाकर उसे रंगे हाथों पकड़ा। क्या है यह पूरा ‘खूनी खेल’,?
IGMC के वार्डों में सफेद कोट पहनकर घूमने वाली यह महिला कोई अस्पताल कर्मचारी नहीं, बल्कि एक बड़ी सुरक्षा चूक का सबूत है। यह महिला खुद को IGMC लैब की टेक्नीशियन बताकर मरीजों के पास जाती और उनके खून के नमूने (Blood Samples) ले लेती। लेकिन जब मरीजों और तीमारदारों को इसके गैर-पेशेवर बर्ताव पर शक हुआ, तो उन्होंने शिकायत करनी शुरू की।
शिकायतों के बाद IGMC प्रशासन हरकत में आया। मेडिकल सुपरिटेंडेंट (MS) के पीए (PA) ने सूझबूझ दिखाई और खुद मरीज बनकर इस महिला से संपर्क किया। जैसे ही महिला सैंपल लेने आई, उनसे आईडी कार्ड और अनुमति पत्र माँगा गया। न तो उसके पास कोई पहचान पत्र था और न ही कोई जवाब। पूछताछ में महिला ने कबूल किया कि वह एक निजी लैब के लिए काम करती है और अवैध तरीके से यहाँ सैंपल कलेक्ट कर रही थी।
पकड़ी गई महिला ने एक अन्य व्यक्ति का नाम भी उगला है, जिससे आशंका है कि यह कोई बड़ा रैकेट हो सकता है जो मरीजों को प्राइवेट लैब में फंसाने का काम करता है। IGMC के एमएस डॉ. राहुल राव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लक्कड़ बाज़ार पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज करवा दी है। पुलिस अब यह पता लगा रही है कि इस फर्जीवाड़े के तार कहाँ तक जुड़े हैं।
इस घटना ने प्रदेश के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले अस्पताल की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर कोई बाहरी व्यक्ति आसानी से मरीजों की नसों में सुई चुभा सकता है, तो यह किसी बड़ी अनहोनी का भी कारण बन सकता है। फिलहाल, IGMC प्रशासन ने मरीजों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को सैंपल देने से पहले उसका आईडी कार्ड जरूर चेक करें।