हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड शिक्षा की गुणवत्ता को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने की दिशा में काम कर रहा है। यह कहना है बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा का। उन्होंने खुलासा किया कि बोर्ड अब अपनी कार्यप्रणाली को इस तरह विकसित कर रहा है कि उसकी तुलना केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई.) से की जा सके। उद्देश्य यह है कि राज्य के छात्रों को किसी अन्य बोर्ड में जाने की जरूरत न पड़े।
उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता को सी.बी.एस.ई. से जुड़े स्कूलों के समान स्तर तक पहुंचाना आवश्यक है। डा. राजेश ने कहा कि अब बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों के शिक्षकों को भी 50 घंटे की ट्रेनिंग करनी होगी। यह प्रशिक्षण सरकारी शिक्षकों की तरह होगा। इसका उद्देश्य शिक्षण पद्धति में एकरूपता लाना और शिक्षा के स्तर को समान बनाना है।
डॉ. शर्मा ने बताया कि अध्यापक पात्रता परीक्षा (टैट) का स्तर अब और कठिन किया जा रहा है। नवम्बर में होने वाली टैट परीक्षा के लिए 10 विषयों के प्रश्नपत्र प्रारूप पूरी तरह से बदले जा रहे हैं। उनका कहना है कि जब परीक्षा चुनौतीपूर्ण होगी, तभी योग्य शिक्षक शिक्षा क्षेत्र में आएंगे और वही बच्चों के भविष्य को दिशा देंगे।
कॉन्सेप्ट बेस्ड प्रश्न व एक्टीविटी बेस्ड लर्निंग पर जोर
बोर्ड अब प्रश्नपत्र संरचना और मूल्यांकन प्रणाली में बड़े बदलाव कर रहा है। कॉन्सैप्ट बेस्ड प्रश्न, प्रोजैक्ट मूल्यांकन और एक्टीविटी बेस्ड लर्निंग को प्राथमिकता दी जाएगी। मूल्यांकन प्रणाली को भी पारदर्शी और मानकीकृत बनाया जा रहा है ताकि छात्रों की वास्तविक समझ को परखा जा सके।
होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड से होगा समग्र मूल्यांकन
बोर्ड अब छात्रों के केवल अंकों पर नहीं, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास पर भी ध्यान देगा। इसके लिए होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड तैयार किया जा रहा है, जिसमें छात्रों की रुचियों, व्यवहार, स्वास्थ्य और गतिविधियों से जुड़ी जानकारी भी शामिल होगी। डॉ. शर्मा के अनुसार यह प्रणाली छात्रों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करेगी।
दुर्गम इलाकों के स्कूलों पर विशेष ध्यान
डॉ. शर्मा ने बताया कि दुर्गम क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षा की स्थिति सुधारने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। योग्य शिक्षकों की नियुक्ति, शिक्षण सामग्री की उपलब्धता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जा रही है।
शिक्षक मजबूत होंगे तो शिक्षा प्रणाली भी मजबूत होगी
डॉ. शर्मा का कहना है कि हिमाचल बोर्ड को राष्ट्रीय पहचान दिलाना उनका मुख्य लक्ष्य है। उनका विश्वास है कि अगर शिक्षक सशक्त होंगे तो पूरी शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। “हम चाहते हैं कि हिमाचल के बच्चे किसी भी प्रतियोगिता में पीछे न रहें,”।
पेशे से डॉक्टर हैं राजेश शर्मा, खून में है समाजसेवा
कांगड़ा नगर परिषद के अध्यक्ष रहे स्व. बाल कृष्ण शर्मा के पुत्र डॉ. राजेश शर्मा पेशे से डॉक्टर हैं व लंबे समय से शिक्षा से भी जुड़े हुए हैं। समाजसेवा उनके खून में है। उनका पूरा परिवार दशकों से समाजसेवा से जुड़ा हुआ है। वह वर्ष 2022 में देहरा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे तथा जून 2024 के उपचुनाव में में भी भी टिकट के प्रमुख दावेदारों में शामिल रहे। शिक्षा सुधार और शिक्षकों के प्रशिक्षण को लेकर उनके प्रयासों को प्रदेश में नई दिशा के रूप में देखा जा रहा है।