प्यार के चक्कर में एक एनआरआई युवक छह महीने तक एक विदेशी युवती से वीडियो चैट करता रहा। उसे लगा कि वह सच में उसकी गर्लफ्रेंड है, लेकिन हकीकत में वह एक ऑनलाइन ठगी गिरोह की सदस्य निकली। गिरोह ने खुद को डिजिटल जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर युवक को “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाया और धीरे-धीरे उससे लगभग 2 करोड़ रुपये ठग लिए।
युवक ने बताया कि एक दिन उसे वीडियो कॉल पर धमकी दी गई कि उसकी चैट और वीडियो सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। इसके बाद गिरोह के सदस्यों ने खुद को साइबर क्राइम विभाग का अफसर बताकर कहा कि वह “डिजिटल अरेस्ट” के तहत जांच में है। डर के मारे युवक ने बिना किसी को बताए पैसे भेजना शुरू कर दिए।
पीड़ित ने बताया कि सबसे बड़ी गलती उसने यही की कि उसने यह बात परिवार को नहीं बताई। वह लगातार मानसिक दबाव में रहा और ठगों के झांसे में आ गया। जब तक उसे सच्चाई समझ आई, तब तक वह करोड़ों रुपये गंवा चुका था। साइबर पुलिस का कहना है कि कोई भी सरकारी एजेंसी या पुलिस विभाग ऑनलाइन गिरफ्तारी नहीं करता। यदि कोई ऐसा दावा करे तो तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। यह पूरी तरह से ठगी का नया तरीका है, जिसमें लोगों की निजी चैट और फोटो का इस्तेमाल कर डराया जाता है।
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किसी भी अनजान व्यक्ति से नजदीकी बनाने में सावधानी बरतें। किसी को भी निजी जानकारी या फोटो न भेजें और यदि कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज आए, तो उसकी तुरंत शिकायत करें।