अबोहर, श्री मुक्तसर साहिब से आने वाले नकली पनीर की बिक्री के कारण पहले से ही सुर्खियों में रहा मलोट अब नकली देसी घी का गढ़ बन गया है। शहर में नगरी से लेकर औद्योगिक केंद्र तक छिपे हुए स्थानों पर यह नकली घी बनाया जा रहा है और उक्त निर्माता अपनी दुकान और कुछ अन्य थोक विक्रेताओं के माध्यम से स्थानीय बाजार में इसकी सप्लाई कर रहा है। लोगों के स्वास्थ्य से हो रहे खिलवाड़ के बावजूद, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की इस मामले में चुप्पी भी लोगों को परेशान कर रही है।
जानकारी के अनुसार, आजकल कैमिकल वाले तेल से देसी घी तैयार कर मलोट और उसके आसपास के इलाकों में आपूर्ति करने का काम जोरों पर है। इस मामले में, शहर की आबादी के बीच छोटे पैमाने पर काम करने वाला निर्माता अब केंद्र में इसे बड़े पैमाने पर तैयार कर रहा है। घर में बना देसी घी 1000 रुपए किलो भी नहीं मिलता, जबकि डेयरियां में 500 से 550 रुपए प्रति किलो तैयार होता हैं और प्रतिष्ठित डेयरियां अच्छी गुणवत्ता का घी 600 रुपए प्रति किलो बेचती हैं। जबकि उक्त निर्माता द्वारा नकली देसी घी का यह 15 किलोग्राम का टीन 6000 रुपए में बेचा जा रहा है। जानकारी के अनुसार इसे तैयार करने के लिए नकली केक क्रीम की तरह नकली सफेद तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह तेल ऐसे रसायनों से तैयार होता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं और कैंसर जैसी अपूरणीय बीमारियों का कारण बनते हैं।
उक्त नकली देसी घी गिरोह डालडा और रसायनों वाले सफेद तेल से नकली देसी घी तैयार करता है और इसे अलग-अलग नामों से टीन की पैकिंग में भरता है और यहां तैयार नकली देसी घी शहर में अपनी दुकान के माध्यम से अन्य थोक विक्रेताओं और गांवों व शहरों में सप्लाई किया जा रहा है। इसके अलावा पंजाब के साथ लगते राज्यों से भी ऐसा घी भारी मात्रा में आ रहा है। नकली घी का यह कारोबार जहां उनके लिए सोने की खान बन गया है, वहीं लोगों में जानलेवा बीमारियां भी बढ़ा रहा है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर पूरी तरह से खामोश है, हालांकि इसका फैलाव पुलिस थाने के आसपास ही है। उधर, शहर में इक्का-दुक्का डेयरियों को छोड़कर नकली पनीर की बिक्री भी जोरों पर है। स्वास्थ्य विभाग इस मामले में सिर्फ खानापूर्ति के लिए कार्रवाई कर रहा है। जागरूक पक्षों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में अनजान है या जानबूझकर अनजान बना है, यह तो भगवान ही जाने, लेकिन लंबे समय से चल रहे इस गोरख धंधे के बावजूद कोई कार्रवाई न होना इस ओर इशारा करता है कि दाल में जरूर कुछ काला है। उधर, मलोट में बड़े पैमाने पर नकली घी की बिक्री ने सरकार के शुद्ध उत्पाद सप्लाई करने के दावों की हवा निकाल दी है।