दीवाली पर्व की तारीख को लेकर इस बार असमंजस की स्थिति बनी रही। पंजाब सरकार ने वर्ष की शुरूआत में जारी सरकारी छुट्टियों की सूची में 20 अक्तूबर को दीवाली की छुट्टी घोषित की थी, लेकिन ज्यादातर लोगों ने 21 अक्तूबर को ही दीवाली मनाई। ऐसे में मंगलवार 21 अक्तूबर को जब सरकारी स्कूल खुले, तो अधिकांश स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति नाममात्र रही।
शहर के सरकारी स्कूलों में बच्चे नदारद नजर आए, कई स्कूलों में तो एक भी छात्र उपस्थित नहीं हुआ। अध्यापक समय पर पहुंचे, पर कक्षाएं खाली रहीं। कई स्कूलों में उपस्थिति बमुश्किल कुछ प्रतिशत ही दर्ज की गई। वहीं दूसरी ओर शहर के सभी प्राइवेट स्कूलों में छुट्टी रही। निजी स्कूल प्रबंधनों ने स्थानीय परंपरा और अभिभावकों की मांग को देखते हुए दीवाली का अवकाश घोषित कर दिया था, जिससे वहां पूरी तरह छुट्टी का माहौल रहा।
स्कूलों में सन्नाटा, बाजारों में रौनक
जहां एक ओर सरकारी स्कूलों में सन्नाटा पसरा रहा, वहीं शहर के बाजारों और मोहल्लों में दीवाली की रौनक दिखी। लोगों ने दिनभर मिठाइयों, सजावट और पटाखों की खरीदारी की। स्पष्ट था कि अधिकांश परिवार कल ही दीवाली मना रहे थे।
अभिभावकों को थी छुट्टी की उम्मीद
अभिभावकों का कहना है कि उन्हें उम्मीद थी कि पंजाब सरकार 21 अक्तूबर को भी दीवाली की छुट्टी घोषित करेगी। गिल रोड की निवासी एक अभिभाविका ने कहा कि हम सबको लगा था कि सरकार 21 अक्तूबर को छुट्टी की घोषणा करेगी, क्योंकि लोग उस दिन ही दीवाली मना रहे थे। दूसरे अभिभावक ने कहा कि बच्चों को त्यौहार के दिन स्कूल भेजना व्यावहारिक नहीं है। सरकार को पंचांग और परंपरा देखकर छुट्टियों की तारीख तय करनी चाहिए।
शिक्षा विभाग में उलझन बरकरार
इस असमंजस ने शिक्षा विभाग को भी असहज कर दिया है। कई शिक्षकों ने कहा कि यदि छुट्टी की तारीख पहले ही सही तरीके से तय होती, तो इस स्थिति से बचा जा सकता था। अब अभिभावक और शिक्षक दोनों मांग कर रहे हैं कि भविष्य में त्यौहारों की छुट्टियां स्थानीय परंपरा और पंचांग के अनुरूप तय की जाएं, ताकि ऐसी गड़बड़ी दोबारा न हो।