पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं बढ़कर 308 हो गई हैं, जिनमें तरनतारन और अमृतसर सबसे अधिक प्रभावित हैं। 15 सितंबर से 19 अक्तूबर के बीच दर्ज मामलों में किसानों ने रबी की फसल के लिए खेत साफ करने हेतु पराली जलाई। 147 एफआईआर दर्ज की गईं और 6.5 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया। राज्य सरकार ने जागरूकता अभियान चलाया है, लेकिन कुछ किसान अब भी फसल अवशेष जलाते हैं।
तरनतारन और अमृतसर सबसे अधिक प्रभावित
तरनतारन जिले में अब तक पराली जलाने के सबसे अधिक 113 मामले आए हैं। इसके बाद अमृतसर में 104 मामले सामने आए हैं। प्रदेश के अन्य जिलों में, फिरोजपुर में पराली जलाने के 16, पटियाला में 15 और गुरदासपुर में सात मामले सामने आए। दरअसल, राज्य में किसान राज्य सरकार की पराली न जलाने की अपील को दरकार कर फसल अवशेष जलाना जारी रखते हैं। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। अक्तूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद रबी की फसल यानी गेहूं, की बुवाई के लिए वक्त बहुत कम होता है, इसलिए कई किसान अगली फसल की बुवाई के लिए फसल अवशेषों को साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं।
पराली जलाने पर 147 एफआईआर हैं दर्ज
पीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 132 मामलों में पर्यावरण क्षतिपूर्ति के तौर पर 6.5 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया। इसमें से कुल जुर्माने में से 4.70 लाख रुपये से अधिक की वसूली की जा चुकी है। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर 147 एफआईआर दर्ज की गईं। इनमें तरनतारन में 61 और अमृतसर में दर्ज 37 एफआईआर भी शामिल हैं। भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेशों की अवज्ञा) के तहत मामले दर्ज किए गए। हालांकि, राज्य सरकार ने पराली जलाने के दुष्प्रभावों और फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के फायदे बताने के लिए अभियान शुरू किया है, लेकिन कई किसान अब भी फसल अवशेषों को हटाने के लिए उन्हें जलाते हैं।
पराली जलाने में आई कमी
पंजाब में 2024 में पराली जलाने की 10,909 घटनाएं हुईं, जबकि 2023 में यह संख्या 36,663 थी यानी पराली जलाने की घटनाओं में 70 फीसदी की कमी दर्ज की गई। राज्य में 2022 में पराली जलाने की 49,922 घटनाएं, 2021 में 71,304 घटनाएं, 2020 में 76,590 घटनाएं, 2019 में 55,210 घटनाएं और 2018 में 50,590 मामले आए। इनमें संगरूर, मानसा, बठिंडा और अमृतसर सहित कई जिलों में बड़ी संख्या में पराली जलाने के मामले पेश आए।
पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सोहल गांव का दौरा
एसएसपी आदित्य और डिप्टी कमिश्नर दलविंदरजीत सिंह ने कटाई के बाद पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सोहल गांव का दौरा किया। डिप्टी कमिश्नर दलविंदरजीत सिंह ने कहा कि हमने सोहल गांव के किसानों से मुलाकात की। यहां करीब 80 फीसदी फसल की कटाई हो चुकी है और अब तक पराली जलाने की कोई घटना सामने नहीं आई है। हमने उनसे पराली जलाने को रोकने के उपायों को लेकर सुझाव लिए हैं। किसानों ने फसल की कटाई और बुआई के बीच समय की मांग की है ताकि पराली जलाने से बचा जा सके। हम इस मांग को सरकार तक पहुंचाएंगे। गुरदासपुर पुलिस ने किसान संगठनों के साथ करीब 270 बैठकें कीं, जबकि पंजाब प्रोटेक्शन फोर्स ने नियमों के पालन को सुनिश्चित किया। आग की घटनाओं पर नियंत्रण और पूर्व प्रबंधन रणनीतियों को बेहतर बनाने के प्रयास जारी हैं।