सामरिक दृष्टि से अहम भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल लाइन परियोजना में पहला मील का पत्थर पार कर लिया गया है। रेल विकास निगम ने पहले चरण में भानुपल्ली से थलू तक छह किलोमीटर लंबा रेल ट्रैक तैयार कर लिया है। अब औपचारिकताएं पूरी होने के बाद निर्माण एजेंसी आगे का ट्रैक बिछाने का कार्य शुरू करेगी। पहाड़पुर तक 26 किमी ट्रैक का काम वर्ष 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। भानुपल्ली से थलू के बीच करीब छह किलोमीटर के हिस्से में ट्रैक पूरी तरह तैयार है। परियोजना के पहले चरण में कुल 26 किलोमीटर का ट्रैक पहाड़पुर तक बिछाना प्रस्तावित है।
निर्माण एजेंसी ने बताया कि थलू से आगे जमीन समतलीकरण और आधार ढांचा, ग्रीसिंग यानी बेस परत डालने की प्रक्रिया का कार्य पूरा होने के बाद ट्रैक बिछाने का काम शुरू होगा। थलू तक ट्रैक कार्य पूरा करने का लक्ष्य अगस्त रखा गया था। भारी बरसात के चलते काम प्रभावित हुआ और यह एक माह देरी से पूरा हुआ। एजेंसी का कहना है कि ट्रैक बिछाने के लिए सही मौसम अत्यंत आवश्यक है, ताकि मशीनरी और सामग्री समय पर साइट तक पहुंच सके। बरसात के कारण मशीनें सुचारु रूप से काम नहीं कर पा रही थीं।ट्रैक निर्माण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल
ट्रैक बिछाने में उन्नत तकनीक और संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है। कुल 1.19 लाख घन मीटर गिट्टी ट्रैक की नींव में डाली जाएगी। इसके अलावा 6,000 रेल जोड़ों को मोबाइल फ्लैश बट वेल्डिंग और एल्युमिनो-थर्मिक वेल्डिंग तकनीक से जोड़ा जाएगा। ट्रैक की मजबूती और स्थायित्व के लिए स्थायी मार्ग फिटिंग और एच-बीम का उपयोग किया जा रहा है। स्टेशनों पर संचालन सुचारु बनाए रखने के लिए 16:1, 12:1 और 8.5:1 कॉन्फिगरेशन वाले टर्नआउट स्विच लगाए जाएंगे।
भानुपल्ली से आगे के हिस्से में ट्रैक बिछाने के साथ ही परियोजना में आने वाले वर्षों में रेल यातायात की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए डिजाइन तैयार किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़पुर तक ट्रैक तैयार होने के बाद यह रेल लाइन सामरिक और आर्थिक दृष्टि से क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। भानुपल्ली से थलू तक ट्रैक तैयार होने के बाद रेल परियोजना में गति बढ़ गई है और अगले चरण में जमीन समतलीकरण और ग्रीसिंग पूरी होने के बाद बाकी ट्रैक बिछाने का काम शुरू होगा।
पहले चरण के कार्य की 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है। परियोजना के तहत भानुपल्ली रेलवे स्टेशन को आठ लेन वाला यार्ड बनाया गया है। छह लेन यात्री ट्रेनों के लिए और दो मालगाड़ियों के संचालन के लिए होंगे। बताते हैं कि यार्ड को इस तरह डिजाइन किया गया है कि आने वाले वर्षों में बढ़ते रेल यातायात की जरूरतों को पूरा किया जा सके। स्टेशन पर आने-जाने वाली ट्रेनों का संचालन सहज और सुरक्षित बनाने के लिए यार्ड में आधुनिक उपकरण और तकनीक का उपयोग किया जाएगा।