कि सुखबीर बादल के नेतृत्व में अकाली दल में राजनीतिक जान पड़ रही है और वह अपने वोट बैंक को अपनी ओर अकर्षित करने में सफल हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में मात्र 1 वर्ष में भाजपा अपने आप को 117 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कैसे कार्य कर पाएगी, इस पर सभी की नजरें रहेंगी। अगर 4 कोणीय मुकाबला बनता है, जिसमें कांग्रेस, ‘आप’, अकाली दल और भाजपा होंगे तो परिणाम को लेकर संशय बना रहेगा, चाहे जितनी मर्जी एंटीइन्कंबैसी हो। गर्मदलिए भी अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में अपनी राजनीति करेंगे, उससे भी कई प्रकार के समीकरण बिगड़ेंगे।