नवनियुक्त मुख्य सचिव संजय गुप्ता एक्शन मोड में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी दो दिन से अधिक फाइलों को न रोकें। सरकारी पैसे की फिजूलखर्ची पर भी लगाम लगाएं। मेरे पास ज्यादा समय तक फाइलें नहीं रुकती हैं, मैं चाहूंगा सभी ऐसा ही करें। संजय ने हर 15 दिन में विभागीय कामकाज की समीक्षा करने का फैसला भी लिया। फाइलों के निस्तारण में देरी करने वालों की जवाबदेही तय करने के संकेत भी दिए। शुक्रवार दोपहर बाद मुख्य सचिव ने सभी प्रशासनिक सचिवों की बैठक लेकर विकास के रोडमैप पर चर्चा की। उन्होंने बीते वर्षों में आईं प्राकृतिक आपदाओं का बजट लेने को यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जल्द भेजने के निर्देश भी दिए।
शुक्रवार को सचिवालय में प्रेस वार्ता में संजय गुप्ता ने कहा कि मैं जब बिजली बोर्ड का चेयरमैन नियुक्त हुआ तो वहां नियमित तौर पर बैठा। इससे पहले ऐसा नहीं होता था। मेरे नियमित बैठने से बोर्ड में अनुशासन बना। अब बिजली बोर्ड में नारेबाजी नहीं होती है। बोर्ड को 500 करोड़ का लाभ भी हुआ है। उन्होंने कहा कि बोर्ड में बहुत अधिक फिजूलखर्ची हुई है। एक दुधारू गाय को मारा गया। अब बोर्ड की व्यवस्थाएं पटरी पर लौट रही हैं। प्रदेश को वित्तीय तौर पर मजबूत करने को लेकर मुख्य सचिव ने कहा कि वित्त सचिव से इस बाबत प्रस्ताव मांगा गया है। स्थिति सुधारने के प्रयास लगातार जारी हैं। वित्तीय संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं। आगामी दो वर्ष इस लिहाज से हमारे पक्ष में होंगे। मैं सुबह दस बजे से पहले दफ्तर पहुंच जाता हूं। सभी अधिकारियों को भी ऐसा करना चाहिए। इससे अनुशासन बनेगा और स्टाफ में अच्छा संदेश जाएगा। मुख्यमंत्री ने देरी से कार्यालय आने वाले अफसरों पर शिकंजा कसने के निर्दश दिए हैं। सभी सचिवों, निदेशकों और विभागाध्यक्षों को समय का पाबंद होने की आवश्यकता है।