जूते पहनकर देवता के शिविर में जानबूझ कर नहीं गया था। फिर भी देवता से माफी मांगी, लेकिन हारियानों ने उनकी बात नहीं सुनी। उन्हें कॉलर और बाजुओं से पकड़कर धक्के मारते और घसीटकर ले गए। लात-घूंसों से मारपीट की। ये आरोप लगाते हुए तहसीलदार हरि सिंह यादव ने पुलिस थाना कुल्लू में एक नामजद व्यक्ति सहित कई अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज करवाया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि दो अक्तूबर को करीब 12:30 बजे वह छह अन्य कर्मचारियों के उपायुक्त एवं उपाध्यक्ष दशहरा मेला समिति के आदेश पर देवता भृगु ऋषि के अस्थायी शिविर की ओर गए थे। भृगु ऋषि प्रदर्शनी ग्राउंड में जमलू ऋषि के नजदीक बैठते हैं। इस दौरान कुछ हारियान देवता का रथ उठाकर आए और उन्हें घेर दिया। कहने लगे कि आप देवता के शिविर में जूते समेत आ गए थे। तहसीलदार ने कहा कि वह जूते पहनकर शिविर में जानबूझ कर नहीं गए थे। उन्होंने कहा कि उनके साथ गए कर्मचारियों के साथ भी मारपीट की गई। यह घटनाक्रम रघुनाथ शिविर से जमलू ऋषि तक लगे सीसीटीवी में भी कैद हुई है।
गूर के कदमों में झुककर और सड़क पर नाक रगड़कर मंगवाई माफी
सार्वजनिक तौर पर प्रताड़ित कर जान से मारने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि इस बार प्रदर्शनी मैदान के सभी देवताओं को कैनोपी टेंट दिए जा रहे है। इसके लिए 16-16 फीट जगह दी जा रही है। ऐसे में अभी इसी जगह के आधार पर बैठें लेकिन कुछ लोग सुनने को तैयार नहीं हुए। यह देवता पिछले वर्ष दशहरा में नहीं आए थे।
आरोप लगाया कि एएसपी और जिला राजस्व अधिकारी सहित क्यूआरटी के सात से आठ जवान आए लेकिन उनके साथ दुर्व्यवहार जारी रहा। उन्हें देवता और गूर के सामने खड़ा कर गूर के कदमों में झुककर माफी मांगने को मजबूर किया। बीच सड़क पर नाक रगड़ने पर मजबूर किया। उन्होंने मामले की जांच जिला मुख्यालय के बाहर के डीएसपी रैंक के अधिकारी से करवाने की मांग की है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कुल्लू संजीव चौहान ने कहा कि पुलिस ने बीएनएस की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। गौरतलब है कि देवता भृगु ऋषि के अस्थायी शिविर में तहसीलदार के जूते पहनकर जाने और इसके बाद उनके साथ मारपीट का यह मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।
घटना के वक्त मौके पर नहीं थी पुलिस
दशहरा को लेकर जगह-जगह भारी पुलिस बल तैनात है लेकिन दो अक्तूबर को प्रदर्शनी मैदान में तहसीलदार के साथ हुई मारपीट की घटना के दौरान कोई भी पुलिस जवान नजर नहीं आया। इस पर लोग सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर मौके पर पुलिस होती तो शायद इतना विवाद नहीं होता।