नादौन में आयोजित रामलीला मंचन के दसवें दिन कुंभकर्ण, अहि रावण, महि रावण और रावण वध और भगवान राम की अयोध्या वापसी का दृश्य दर्शाया गया। इस दौरान प्रभु श्रीराम रावण का वध कर अयोध्या लौटे, तो उनका भव्य स्वागत किया गया।
मंचन के पहले दृश्य में रावण कुंभकर्ण को जगाता है और उसे पूरा वृतांत सुुनाता है। कुंभकर्ण रावण को समझाने का प्रयत्न करता है, लेकिन वह उसकी नहीं सुनता। इसके बाद कुंभकर्ण युद्ध स्थल पर जाता है और राम से युद्ध करता है, जहां वह मारा जाता है।
इसके बाद इंद्रजीत युद्ध का भार अपने कंधों पर लेता है और युद्ध से पूर्व यज्ञ करता है, तभी लक्ष्मण हनुमान समेत वानर सेना के साथ पहुंचते हैं और यज्ञ का विध्वंस कर देते हैं। लक्ष्मण और इंद्रजीत के बीच भीषण युद्ध होता है, जिसमें इंद्रजीत मारा जाता है। रावण अहि रावण, महि रावण को जिम्मा सौंपता है। दोनों भाई अपनी मायावी शक्तियों से राम और लक्ष्मण को पातालपुरी ले जाते हैं, उनको ढूंढते हुए हनुमान वहां पहुंचते हैं।
हनुमान अहि और महि रावण का वध कर राम-लक्ष्मण को मुक्त करवाते हैं। अंत में रावण युद्ध स्थल में आता है, जहां उसका राम से भीषण संग्राम होता है। विभीषण राम को रावण की मृत्यु का राज बताते हैं और राम द्वारा रावण का वध कर दिया जाता है। अंत में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन कर दशहरा धूमधाम से मनाया गया।