रंजीत सागर डैम से वीरवार को 35,753 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है जिससे रावी दरिया का जलस्तर बढ़ गया है। जो अस्थाई बांध बनाए थे, उन्हें इस पानी की वजह से नुकसान पहुंचा है। बांध की बोरियां पानी में बहती नजर आई है।
जानकारी के अनुसार सुबह 11:30 बजे रंजीत सागर बांध परियोजना का चार नंबर फ्लड गेट 1 मीटर तक खोला गया। उसके उपरांत दोपहर 1 बजे 3 और 5 नंबर गेट एक-एक मीटर तक खोल दिए गए। डैम का जलस्तर दोपहर 3 बजे 523.440 मीटर आंका गया। जबकि हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में स्थित चमेरा जल विद्युत परियोजना से इस समय मात्र 918 क्यूसेक पानी झील में आ रहा है क्योंकि चमेरा जल विद्युत परियोजना से इस समय विद्युत उत्पादन बंद किया गया है।
600 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली रणजीत सागर बांध परियोजना से इस समय चारों इकाइयों से पूरी क्षमता से 600 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। डैम के अधिकारियों मुताबिक आज परियोजना के तीन फ्लड गेट खोले गए हैं। तीन फ्लड गेटों के माध्यम से एवं परियोजना की चारों इकाइयों से 600 मेगावाट विद्युत उत्पादन के उपरांत छोड़े जा रहे पानी को मिलाकर इस समय झील से कुल 35,754 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है।
हालांकि मौसम विभाग के मुताबिक 5 से 7 अक्तूबर तक बारिश का अलर्ट भी जारी किया गया है। वहीं, डीसी पठानकोट आदित्य उप्पल ने भी लोगों से अपील की है कि वे दरिया और नदियों के किनारे जाने से गुरेज करें। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र कोलियां अड्डे में रहने वाले पीड़ित दुकानदार सतपाल सिंह, बाल कृष्ण ने कहा कि उनका पहले भी पानी की वजह से भारी नुकसान हुआ था और अब जो पानी डैम से छोड़ा गया है वे फिर से लोगों के घरों और दुकानों के साथ बहने लगा है। जिसे देख लगता है कि पठानकोट का बाॅर्डर क्षेत्र जो बच गया था वे अब पूरी तरह से पानी की वजह से तबाह हो जाएगा। इतने पानी से बोरियों वाले बांध भी खिसकने लगे हैं। पहले हुए नुकसान का कोई मुआवजा नहीं मिला और लोग अपने पैसों से नुकसान की भरपाई कर रहे हैं। प्रशासन उन्हें जानबूझ कर मारने की कोशिश कर रहा है। रोजी रोटी के लिए लोग अपना आशियाना नहीं छोड़ रहे है। जलस्तर बढ़ने के बाद भी कईयों को तो अभी तक कोई अलर्ट भी नहीं किया गया।