शारदीय नवरात्र के उपलक्ष्य पर अवाहदेवी माता मंदिर परिसर में प्रथम नवरात्र से ही पाठात्मक शत चंडी महायज्ञ संपन्न हो गया। यह आयोजन मंदिर परिसर में लगातार दस दिनों तक जारी रहा।
इसमें संपूर्ण क्षेत्र भक्तिमय और मंगलमय वातावरण से सराबोर हो गया। दस दिन तक मंदिर परिसर में सुबह-शाम भक्तिमय अनुष्ठान, देवी पाठ और हवन यज्ञ का आयोजन हुआ। श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल होकर माता रानी के जयकारे लगाते रहे। दशहरे के दिन विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया।
सुबह के समय आस्थाई मूर्तियों की विधिवत पूजा-अर्चना करने के उपरांत उन्हें पूरे विधि-विधान से लघु हरिद्वार कांडापतन स्थित ब्यास नदी में विसर्जित किया गया। इस दौरान भक्तों ने भक्ति गीतों और नारों के साथ मूर्तियों का विसर्जन किया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस प्रकार के आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को प्रगाढ़ करते हैं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को भी मजबूत बनाते हैं। मंदिर कमेटी के सहयोग से इस वर्ष भी इस महायज्ञ की परंपरा को आगे बढ़ाया गया।
खास बात यह रही कि यह परंपरा मूलतः पश्चिम बंगाल में प्रचलित रही है। पिछले वर्ष से ग्रयोह वार्ड की जिला परिषद सदस्य वंदना गुलेरिया ने इसे अवाहदेवी में आरंभ कराया।