ग्लोबल सिख काउंसिल (जीएससी) ने पाकिस्तान में सिख विरासती स्थलों के संरक्षण के साथ-साथ भारत स्थित तख्तों की प्रभुसत्ता, मान-मर्यादा और आध्यात्मिक अधिकारों की बहाली की वकालत की है। यह संस्था विश्व स्तर पर सिखों के तालमेल को मजबूत करने और पंथक प्राथमिकताओं को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से 28 देशों की राष्ट्रीय सिख संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करती है।
यह निर्णय जीएससी की तीन घंटे से अधिक चली वार्षिक आम सभा (एजीएम) की ऑनलाइन सत्र के दौरान लिया गया। काउंसिल की प्रधान लेडी सिंह डॉ. कंवलजीत कौर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सिख कौम से जुड़े धार्मिक, मानवतावादी और प्रशासनिक मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। बैठक के विवरण साझा करते हुए प्रधान डॉ. कंवलजीत कौर और सचिव हरजीत सिंह ग्रेवाल ने बताया कि एजीएम की शुरुआत उप-प्रधान परमजीत सिंह बेदी (अमेरिका) द्वारा पंजाब में बाढ़ प्रभावित परिवारों की भलाई और पुनर्वास के लिए की गई अरदास से हुई और पीड़ितों के प्रति संवेदना प्रकट की गई।
उन्होंने बताया कि जीएससी श्री हजूर साहिब और श्री पटना साहिब तख्तों को क्रमशः महाराष्ट्र और बिहार राज्य सरकारों के प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त कराने हेतु पुराने गुरुद्वारा कानूनों में संशोधन करवाने के लिए स्थानीय संगत के नेतृत्व वाली कोशिशों का समर्थन करेगी।
इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि कौम की पारदर्शी ढंग से सेवा करने और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत में एक पंजीकृत ट्रस्ट स्थापित किया जाएगा। काउंसिल ने नवंबर 2026 के मध्य में चंडीगढ़ में अगली वार्षिक एजीएम बुलाने का भी फैसला लिया।
बैठक में हुए काउंसिल के कोषाध्यक्ष हरसरन सिंह ने पंजाब के बाढ़ प्रभावित गांवों में तबाही के पैमाने का विवरण दिया। विशेषकर फिरोज़पुर और फाजिल्का जिलों में किसानों और सीमावर्ती निवासियों की कठिन स्थिति को उजागर किया। काउंसिल ने समन्वित राहत कार्यों के लिए विश्वव्यापी सिख संस्थाओं से सहयोग जुटाने की अपील भी की।