लूहरी में बनाए जा रहे 210 मेगावाट के प्रोजेक्ट का मलबा सतलुज नदी में डालने पर एसजेवीएनएल को पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। प्रोजेक्ट से निकले मलबे को सतलुज नदी में पांच जगह डंप किया गया, जिससे पर्यावरण को नुकसान हुआ। हालांकि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पहले भी नोटिस जारी कर मलबे को नदी में मिलने से रोकने के लिए अवरोधक संरचनाएं स्थापित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अनुपालना नहीं हुई। परिणामस्वरूप अब पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में जुर्माना लगाया गया है। यह कार्रवाई बोर्ड के सदस्य सचिव ने क्षेत्रीय अधिकारी रामपुर की सिफारिश पर की गई है।
सदस्य सचिव की ओर से जारी नोटिस के अनुसार क्षेत्रीय अधिकारी रामपुर ने 15 मई को प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया था। इसमें दत्तनगर, बांध क्षेत्र नीरथ, नरोला में स्टील पुल के पास, गोटना और सतलुज के दाएं भाग में मलबे की अवैध डंपिंग पाई गई। क्षेत्रीय अधिकारी ने 16 मई को इकाई को एक नोटिस जारी किया। इसमें नदी के पानी में मलबे को मिलने से रोकने के लिए पांच स्थानों पर अवरोधक संरचनाएं स्थापित करने के निर्देश दिए गए। हालांकि, नोटिस की अनुपालना नहीं हुई।
इसके बाद क्षेत्रीय अधिकारी रामपुर ने 23 जून को बोर्ड के उच्च अधिकारियों को पत्र के माध्यम से बिना किसी सुरक्षा उपायों के सतलुज नदी में अवैध रूप से मलबा डालने के बारे में सूचित किया। साथ ही राष्ट्रीय हरित अधिकरण की ओर से अभिषेक राय बनाम हिमाचल प्रदेश एवं अन्य में पारित आदेश के अनुसार, पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की। इस सिफारिश पर बोर्ड के सदस्य सचिव ने कार्रवाई की।
एसजेवीएनएल की लूहरी इकाई को नोटिस जारी कर पांच लाख रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई है। साथ ही निर्देश दिया है कि जुर्माने की राशि को तीन दिन के भीतर जमा किया जाए अन्यथा जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम 1974 और वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम 1981 के प्रावधानों के तहत एसजेवीएनएल के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी। उधर, सदस्य सचिव डॉ. प्रवीण गुप्ता ने बताया कि अभी अवकाश पर हूं। इकाई की ओर से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति जमा कराई गई या नहीं। इस बारे में कार्यालय में जाकर ही बता पाऊंगा।