प्राकृतिक आपदा में नुकसान झेल चुके किसानों को राहत की तैयारी है। फसलों का 33 फीसदी से अधिक नुकसान होने पर उन्हें ऋण की किस्त चुकाने में समय मिल सकता है। राज्य में लाखों किसानों को कुछ अवधि के लिए ब्याज से राहत मिल सकती है। इसके लिए पहले सर्वेक्षण होगा। आपदा का दंश झेल रहे प्रदेशवासियों के लिए राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति ने राहत देने का निर्णय लिया है। हालांकि, छोटे उद्यमियों और परचून कारोबारियों को कर्ज की किस्त चुकाने में मोहलत के निर्देश दे दिए हैं।
राजधानी शिमला में हाल ही में हुई 177वीं राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में प्रस्ताव रखा गया था। समिति की तरफ से बैंकों को सुझाव दिया गया है कि जिन प्रदेशवासियों की संपत्ति इस मानसून सीजन में आंशिक या फिर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई है, उनके कर्ज की ईएमआई को आगे बढ़ाया जाए और मोरेटोरियम अवधि प्रदान की जाए। विशेष रूप से एमएसएमई, ऋणग्राही और अन्य खुदरा ऋणग्राही को ऋण की किस्त में स्थगन करने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आरबीआई और नाबार्ड के प्रचलित दिशा-निर्देशों के तहत राज्य के प्रभावित लोगों तक राहत उपाय तुरंत पहुंचाए जाने चाहिए। दिशा-निर्देशों के राहत उपायों के तहत यह सुझाव दिया गया कि कर्ज की किस्त थोड़े समय बाद चुकाने में छूट दी जाए। विशेष रूप से एमएसएमई ऋणग्राही और अन्य खुदरा ऋणग्राही के लिए जिनकी संपत्ति मानसून के दौरान आंशिक या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई हो।
कृषि ऋण मामलों में राज्य सरकार के संबंधित विभाग से एसएलबीसी की ओर से फसल हानि सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया। इन कृषि उधारकर्ताओं को केवल तभी लाभ मिलेगा, जब फसल हानि का अनुमान 33 प्रतिशत से अधिक हो। संदर्भ तिथि 19 जून 2025 अनुमानित की गई है, यानी इस दिन तक सभी ऐसे खातों की देयता नहीं होनी चाहिए। यह भी निर्णय लिया गया कि लाभ को समाज के बड़े वर्ग तक पहुंचाने और ऐसे राहत उपायों की प्रगति की निगरानी करने के लिए एक उपसमिति का गठन किया जाएगा।