Home बड़ी खबरेnews हिमाचल का ऐसा शिवमंदिर, जहां पांडव छोड़ गए थे ये चार दुर्लभ निशानियां, जानिए रोचक कहानी

हिमाचल का ऐसा शिवमंदिर, जहां पांडव छोड़ गए थे ये चार दुर्लभ निशानियां, जानिए रोचक कहानी

This Shiva temple in Himachal Pradesh, where the Pandavas left these four rare signs, learn the interesting story.

by punjab himachal darpan

देवभूमि हिमाचल प्रदेश के कई मंदिर रहस्यों से भरे पड़े हैं। इसके वैज्ञानिक पहलू भी हैं लेकिन देव आस्था इन वैज्ञानिक पहलुओं पर हावी रहती है। इन मंदिरों का इतिहास और पाैराणिक मान्यताएं हर कोई को अचंभित करती हैं। हर मंदिर से जुड़ी एक अलग रोचक कहानी है। आज हिमाचल प्रदेश के ऐसे ही शिवमंदिर के बारे में जानते हैं जिसका इतिहास पांच हजार साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर में पांडव चार दुर्लभ निशानियां छोड़ गए थे।

यहां बात हो रही है कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के करसोग उपमंडल में स्थित ममलेश्वर महादेव की। हिमालय की गोद में बसें ममलेश्वर महादेव के मंदिर में पांडवों के दौर का पांच हजार साल पुराना 200 ग्राम गेहूं का दाना और भीम का ढोल है। इसे यहां सदियों से सहेजकर रखा गया है। मान्यता है कि यह गेहूं का दाना पांडवों ने उगाया था। उसी समय से इसे यहां रखा गया है। मंदिर में रखा यह गेहूं का दाना करीब 5,000 हजार वर्ष पुराना है। मंदिर में जाने पर आप पुजारी से कहकर इस दुर्लभ गेंहू के दाने को देख सकते हैं।

मंदिर में एक प्राचीन ढोल

ममलेश्वर मंदिर का पांडवों से गहरा नाता रहा। इस मंदिर में एक प्राचीन ढोल है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह ढोल भीम का है। ममलेश्वर महादेव के मंदिर में एक धुना है। इसको लेकर मान्यता है कि यह महाभारत काल से निरंतर जल रहा है।

पांच शिवलिंग भी माैजूद

इसके अलावा मंदिर में स्थापित पांच शिवलिंगों के बारे में मान्यता है कि यह पांडवों ने ही यहां स्थापित किए हैं। मंदिर भी महाभारत काल ही बताया जाता है। ममलेश्वर महादेव के मंदिर भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है।

ऐसे पहुंच सकते हैं मंदिर

ममलेश्वर मंदिर जाने के लिए आप हिमाचल पहुंचकर मंडी और शिमला दोनों रास्तों से करसोग पहुंच सकते हैं। ममलेश्वर महादेव का मंदिर करसोग बस स्टैंड से मात्र दो किलोमीटर दूर है। इस मंदिर में लकड़ी पर सुंदर नक्काशी भी की गई है जो कि स्वत: ही यहां आने वाले भक्तों को आकर्षित करती है।

मंदिर कमेटी के प्रधान हंसराज शर्मा ने बताया कि यह मंदिर पांडवों की ओर से निर्मित है। अज्ञातवास के दौरान यहां पांडव आए थे। आज भी यहां 200 ग्राम गेहूं का दाना, बेखल का बड़ा ढोल, अखंड धूना मौजूद हैं।

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