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नदी-नालों में डंप नहीं होगा मलबा, आपदा से बचाव के लिए चिह्नित होंगी डंपिंग साइटें

Debris will not be dumped in rivers and streams, dumping sites will be marked to prevent disaster.

by punjab himachal darpan

हिमाचल प्रदेश में बरसात में तबाही मचाने वाला मलबा अब खड्डों-नालों और नदियों के किनारे डंप नहीं होगा। आपदा से बचाव के लिए प्रदेश सरकार अब डंपिंग साइटें चिह्नित करेगी। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस बाबत संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया रिजर्व (एनडीआरआर) की तर्ज पर राज्य आपदा प्रतिक्रिया रिजर्व की स्थापना के लिए प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। इसके लिए वर्ष 2023 और वर्ष 2025 की प्राकृतिक आपदाओं से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले जिलों पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है।

 

यह उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में डंपिंग साइटों को चिह्नित नहीं करने का मामला अमर उजाला में भी प्रमुखता से उठाया था। मुख्य सचिव सक्सेना शनिवार को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत गठित राज्य कार्यकारी समिति (एसईसी) की 26वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इस बैठक में पिछली एसईसी बैठकों के दौरान जारी विभिन्न दिशा-निर्देशों पर की गई कार्यवाही रिपोर्ट की समीक्षा और पुष्टि करने पर विशेष बल दिया गया। सक्सेना ने कहा कि मलबा डंपिंग स्थलों को चिह्नित करने में मंडी, कुल्लू, चंबा और शिमला जिलों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के सचिव को प्रभावी योजना बनाने और इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए वन, जल शक्ति, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) आदि विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के भी निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि अब मलबा हटाने की अनुमति देने का अधिकार जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (डीडीएमए) को दिया गया है, जो पहले राज्य स्तर पर था। समिति ने 2015 के दिशा-निर्देशों और बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के प्रावधानों के अनुसार संबंधित बांध अधिकारियों की ओर से पूर्व चेतावनी प्रणाली की स्थापना पर भी चर्चा की। हिमाचल प्रदेश में 25 बड़े बांधों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका हैं, जबकि पांच निर्माणाधीन हैं। मंडी जिले में सार्वजनिक स्थलों से 46,988 घन मीटर मलबा हटाने के लिए एसडीआरएफ व एनडीआरएफ कोष से 78.76 लाख रुपये की राशि के उपयोग को भी पूर्वानुमोदन के लिए समिति के समक्ष रखा गया है।

 

अतिरिक्त मुख्य सचिव कमलेश कुमार पंत, सचिव लोक निर्माण अभिषेक जैन, सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राजेश शर्मा, निदेशक एवं विशेष सचिव आपदा प्रबंधन डीसी राणा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

 

139 करोड़ रुपये की प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट पर चर्चा

बैठक में राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम शमन कार्यक्रम (एनएलआरएमपी) के तहत 139 करोड़ रुपये की प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट पर भी विचार-विमर्श किया गया, जिसे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय आपदा शमन कोष के माध्यम से वन अग्नि जोखिम प्रबंधन योजना के लिए 8.16 करोड़ रुपये की प्रारंभिक परियोजना रिपोर्ट को समिति से अनुमोदन दिलाने पर चर्चा हुई।

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