सेंट्रल जेल गोइंदवाल साहिब में चोरी के मामले में बंद जिला तरनतारन के गांव अमरकोट निवासी गुरप्रीत सिंह उर्फ भालू का शव जेल अधिकारियों ने 24 सितंबर को परिवार को यह कहकर सौंप दिया था कि जानलेवा बीमारी से पीड़ित भालू की मौत हो गई है।
अब इस मामले में पता चला है कि वह जिंदा है। परिवार गमगीन माहौल में उसका अंतिम संस्कार करके अस्थियों को जल में प्रवाहित कर चुका है। जेल प्रशासन इस मामले में मुंह खोलने को तैयार नहीं है।
गुरप्रीत के माता-पिता की मौत हो चुकी है। गुरप्रीत सिंह उर्फ भालू बड़ा है, वह चाचा के साथ जेल में बंद था। उसका छोटा विवाहित भाई गुरभेज सिंह रेत-बजरी की दुकान पर काम करके अपना परिवार चलाता है।
गुरभेज के अनुसार 24 सितंबर को केंद्रीय जेल गोइंदवाल साहिब के प्रशासकों ने सूचना दी कि भालू की जेल में मौत हो गई है। तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया व यह पूरी प्रक्रिया मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में हुई थी। अंतिम संस्कार के बाद परिजन गुरप्रीत सिंह के जेल में बंद चाचा से मिलने गए, जहां उन्होंने बताया कि गुरप्रीत सिंह भालू की मौत नहीं हुई, बल्कि वह जेल में है। कुछ समय पहले उनकी उससे बात हुई थी। जेल अधिकारियों की लापरवाही के कारण गुरप्रीत सिंह भालू के वारिसों को किसी अन्य व्यक्ति का शव दे दिया गया और परिवार ने गंभीर बीमारी के कारण उसका चेहरा देखे बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया। अब जेल अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है और मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है।
केंद्रीय जेल अधीक्षक मंजीत सिंह टिवाना का कहना है पूरे मामले की जांच जेल के सहायक अधीक्षक गुरजंट सिंह कर रहे हैं। इस संबंध में संपर्क करने के लिए गुरजंट सिंह को बार-बार फोन किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
दूसरी ओर, जेल मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर का कहना है कि मामला मीडिया के जरिये उनके ध्यान में आया है। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी और पता लगाया जाएगा कि जिसका अंतिम संस्कार किया गया वो कौन सा हवालाती था। जेल मंत्री ने कहा कि लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।