सिविल सर्जन डाॅ. तपिंदर जोत ने 9 सितंबर को सिविल अस्पताल में पिछले पांच माह में हुए ऑर्थो ऑपरेशन के ऑडिट के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी में सिविल अस्पताल तलवंडी साबो के एसएमओ डाॅ. रवि कांत और सिविल सर्जन कार्यालय की एसीएस अनुपमा शर्मा भी शामिल थे।
ऑडिट कमेटी के सदस्यों ने जब एसएमओ सोनिया गुप्ता से उसके कार्यालय में पड़े रिकाॅर्ड को मंगवाने का प्रयास किया तो पहले ऑडिट कमेटी की सुनी ही नहीं गई लेकिन जब ऑडिट कमेटी के सदस्यों ने सिविल सर्जन के ध्यान में लाया कि एसएमओ कार्यालय की तरफ से रिकाॅर्ड नहीं भेजा जा रहा तो सिविल सर्जन ने फिर से एसएमओ को सख्त आदेशों के अधीन पत्र लिखा जिसके बाद एसएमओ कार्यालय की तरफ से धीरे-धीरे रिकाॅर्ड भेजना शुरू किया गया। एसएमओ कार्यालय से जुडे सूत्र बताते हैं कि 350 से अधिक फाइल ऑडिट कमेटी के पास पहुंच चुकी है जबकि बाकी फाइलों को भी एसएमओ कार्यालय की ओर से भेजा जाएगा।
एसएमओ सोनिया गुप्ता से जब पूछा गया कि ऑर्थो ऑपरेशन का रिकाॅर्ड देरी से क्यों भेजा जा रहा तो उन्होंने कहा कि रिकाॅर्ड कीपर कोर्ट में केस चला जाता है जिस कारण रिकाॅर्ड देरी से पहुंचा है। बाकी जो सिविल सर्जन ने पत्र लिखा था उस संबंधी उन्होंने अपना जवाब भेज दिया है।
इतने दिनों में काम पूरा होना असंभव: अनुपमा शर्मा
ऑडिट कमेटी की सदस्य एसीएस अनुपमा शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पत्र में जो भी दिन लिखे जाते हैं वो मात्र लिखने के लिए ही होते हैं। पत्र में लिखें दिनों में काम पूरा होना संभव नहीं है। एसीएस के इस जवाब से स्पष्ट होता है कि वो अपने सीनियर अधिकारियों के आदेशोें की पालना नहीं करना चाहते और अपनी मनमर्जी से ही ऑडिट करना चाहते है।
पंद्रह दिनों में पूरा रिकाॅर्ड ना पहुंचने कारण ऑडिट रिपोर्ट में देरी
सिविल सर्जन की ओर से पत्र में तय 15 दिन बीत जाने के बावजूद ऑडिट कमेटी के पास पूरा रिकाॅर्ड नहीं पहुंचा। इसके चलते ऑडिट रिपोर्ट बनने में देरी होगी। इस के लिए कौन जिम्मेवार है, यह तो बडे अधिकारी ही बता पाएंगे।