Home बड़ी खबरेnews हिमाचल में वन भूमि से हर हाल में हटेगा अतिक्रमण, कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

हिमाचल में वन भूमि से हर हाल में हटेगा अतिक्रमण, कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

Himachal Pradesh High Court orders that encroachments on forest land will be removed at all costs; no laxity will be tolerated.

by punjab himachal darpan

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वन भूमि से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया जारी रखने के आदेशों को बरकरार रखा है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि 31 अक्तूबर से पहले अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने के आदेश लागू रहेंगे और इसमें किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने कहा कि 2002 की अतिक्रमण नियमितीकरण नीति में वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण को नियमित करने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए अतिक्रमणकारियों को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा। कोर्ट ने कहा कि उपायुक्त शिमला की ओर से दाखिल हलफनामे से यह तथ्य सामने आया कि अतिक्रमण वन भूमि पर हुआ है। मुख्य वन संरक्षक शिमला के अनुपालन हलफनामे में भी यही तथ्य दोहराया गया कि अतिक्रमण अवैध रूप से वन भूमि पर किया गया है।

 

उपायुक्त की ओर से दिए हलफनामे के पैरा 3 और 4 में यह उल्लेख है कि कोटखाई के एसडीएम ने जांच में पाया कि रतनाड़ी और बाघी वन बीट से प्राप्त 238 मामलों में से 75 गए मामले सरकारी भूमि पर अतिक्रमण के निकले हैं। इस अवैध कब्जे का कुल क्षेत्रफल 33-05-24 हेक्टेयर है। अतिक्रमणकारी इन मामलों में भी 2002 की नीति के तहत नियमितीकरण की मांग कर रहे थे। अदालत ने कहा कि यह दावा निराधार है, क्योंकि स्वयं उच्च न्यायालय ने 5 अगस्त को पूनम गुप्ता बनाम स्टेट ऑफ एचपी मामले में नीति को निरस्त कर दिया था। खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई शीघ्रता से शुरू करें। यह कार्रवाई अदालत की ओर से निर्धारित समय-सीमा और अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व और वन) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पूरी की जानी चाहिए। डीसी शिमला और वन अधिकारी ठियोग को 26 नवंबर तक अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी गई है। सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।

स्टे ऑर्डर के बाद भी निष्कासन वारंट किए जारी, सहायक कलेक्टर तलब

हिमाचल हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश के बाद भी निष्कासन वारंट जारी करने पर पालमपुर के सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी के आचरण पर नाराजगी व्यक्त की है। अदालत ने उन्हें अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है और अपने आचरण पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। अगली सुनवाई 7 अक्तूबर को होगी। कोर्ट को बताया गया कि 21 फरवरी को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में स्टे दिया था, इसके बावजूद निष्कासन वारंट जारी कर उन्हें परेशान किया जा रहा है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने कहा कि जब आदेश महाधिवक्ता कार्यालय के अधिकारियों की उपस्थिति में पारित किया जाता है, तो संबंधित अधिकारियों को आदेश के बारे में सूचित करना महाधिवक्ता कार्यालय का काम है। यह कर्तव्य याचिकाकर्ता पर नहीं डाला गया है। याचिकाकर्ता को केवल तभी दूसरी पार्टी को आदेश की सूचना देनी होती है, जब किसी पार्टी के खिलाफ एकतरफा आदेश पारित किया गया हो।

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