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नित्थर के आराध्य देवता कुईकंडा नाग 365 साल बाद कुल्लू दशहरा में लेंगे भाग

After 365 years, the presiding deity of Nitthar, Kuikanda Nag will participate in Kullu Dussehra.

by punjab himachal darpan

उपतहसील नित्थर के आराध्य देवता कुईकंडा नाग देवता करीब 365 साल बाद कुल्लू दशहरा में भाग लेंगे। देवता करीब 200 किलोमीटर का पैदल यात्रा कर नित्थर से कुल्लू पहुंचेंगे। इस यात्रा में क्षेत्र के हर घर से एक सदस्य का आना जरूरी होगा। वह कुल्लू दशहरा में सबसे दूर से पहुंचने वाले देवता भी होंगे। क्षेत्र के तांदी में आयोजित झाड़े के दौरान देवता ने इसको लेकर आदेश किए।

 

 

 

कुल्लू में दशहरा पर्व राजा जगत सिंह ने 1660 में शुरू किया। उसी समय से 365 देवी-देवताओं की परंपरा का पालन किया जाने लगा। उस समय देवता साहिब कुईकंडा नाग तांदी ने शिरकत की थी। उसके बाद आज तक कभी भी अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे में देवता साहिब नहीं गए। लगभग 365 साल के बाद इस बार देवता साहिब दशहरे में जा रहे हैं।

देवता साहिब कुईकंडा नाग तांदी की मान्यता न केवल स्थानीय, बल्कि नित्थर क्षेत्र के बाहर से भी कई लोगों में भी है। सिरीगढ़, नरेणगढ़ और हिमरीगढ़ के लाखों लोग कुईकंडा नाग को मानते हैं। बुजुर्गों के अनुसार, बताया जाता है कि कई साल पूर्व जब देवता कुईकंडा नाग दशहरे में शिरकत करने कुल्लू पहुंचे थे, तो उन्हें प्रौढ़ (प्रवेशद्वार) के नीचे गुजारने की कोशिश की गई। इससे देवता गुस्से में आ गए थे। लेकिन इस बार देवता साहिब के आदेश पर ही जाने का निर्यय लिया गया है।

 

वीरवार को कुईकंडा नाग तांदी मंदिर में बैठक का आयोजन किया गया और झाड़े में गुर के माध्यम से देवता के आदेशानुसार इस बार यह फैसला लिया गया। मंदिर कमेटी के कारदार कमलेश रावत और गुर विनोद ठाकुर की अगुवाई में तांदी मंदिर के प्रांगण में बैठक हुई। सभी की सहमति से यह फैसला लिया गया कि 29 सितंबर को देवता साहिब कुल्लू के लिए रवाना होंगे।

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