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हिमाचल प्रदेश के इस मंदिर की कहानी है बेहद दिलचस्प, हर मनोकामना होती है पूरी

The story of this temple in Himachal Pradesh is very interesting, every wish is fulfilled.

by punjab himachal darpan

Vivek sharma:-हिमाचल प्रदेश को देवी-देवताओं की भूमि यानी ‘देवभूमि’ कहा जाता है. यहां कई देवी देवताओं के प्राचीन मंदिर स्थापित हैं. जिला कांगड़ा की नूरपुर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले माता रत्ते घर वाली का प्राचीन प्रसिद्ध मंदिर है, जिसमें लोगों की सदियों से आस्था और विश्वास बना हुआ है. यह मंदिर नूरपुर से 10 किलोमीटर दूर खन्नी बीट की एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है.

मान्यतानुसार इस मंदिर का इतिहास बहुत ही विश्वसनीय और ऐतिहासिक है. इस मंदिर की स्थापना सन् 1942 में एक गद्दी समुदाय के व्यक्ति ने की थी और उसी व्यक्ति ने इस मंदिर का नाम ‘रत्ते घर वाली माता’ रखा था. पुराने समय में लोग पहाड़ी रास्तों से पैदल जाया करते थे. सदियों से माता के दर से जिसने भी जो सच्चे मन से मांगा है उसकी फरियाद पूरी हुई है. जैसे-जैसे माता पर श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ती गई वैसे-वैसे माता के मंदिर का विकास भी होना शुरू हो गया.

अब स्थानीय लोगों द्वारा यहां देखभाल के लिए एक कमेटी भी बनाई गई है जो इस मंदिर की देखभाल करती है. अब यहां सड़क, पानी और बिजली इत्यादि सभी सुविधाएं हैं. यहां हिमाचल, पंजाब, जम्मू से भी श्रद्धालु माता के दर्शनों करने आते हैं. नवरात्रों में यहां नौ दिन तक मेला लगता है. मंदिर कमेटी की तरफ से अष्टमी और नवमी को बड़ा मेला लगता है. नवमी को यहां हवन पूजा अर्चना और विशाल भंडारे का आयोजन होता है.

मंदिर कमेटी सचिव परषोतम शर्मा ने बताया कि यह मंदिर 1942 में बनाया गया था. इस मंदिर का निर्माण एक गद्दी समुदाय के व्यक्ति ने करवाया था, क्योंकि गद्दी यहां अपनी भेड़ बकरियों को लेकर आया था. इस दौरान अचानक उसकी भेड़ बकरियां गुम हो गईं तो उसने अपने साथ जो बन्नी माता का त्रिशूल रखा था उसे निकाल कर पूजा की और अपनी समस्या बताते हुए मन्नत मांगी. इसके बाद माता ने हुक्म उसे दिया कि इस पहाड़ी पर मेरा मंदिर बना दो और मेरा नाम ‘रत्ते घर वाली माता रखना’. इतना कहने के कुछ देर बाद ही उस व्यक्ति भेड़ बकरियां मिल गईं.

इसके बाद यह मंदिर बनवाया गया. इस मंदिर के ऐसे अनेकों किस्से हैं, जिनसे पता चलता है कि इस मंदिर में कितनी श्रद्धा है. वहीं, मंदिर कमेटी के प्रधान ने बताया कि वे जब से सेना से रिटायर हुए हैं तब से इस मंदिर में सेवा कर रहे हैं. इनके अलावा यहां आए एक श्रद्धालु ने कहा कि उन्होंने 10 साल पहले यहां मन्नत मांगी थी, जिसके पूरी होने के बाद अब वह अपनी बहन के साथ यहां आए हैं.

इस स्थान को छोटी बन्नी माता के नाम से भी जाना जाता है यहां पर आकर श्रद्धालुओं की हर इच्छा पूरी होती है और और माता से मुंह मांगी मुराद मिलती है

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