सनातन संस्कृति की धरोहर बनी मुलाना में श्री कृष्णा ड्रामेटिक क्लब की ओर से आयोजित श्री राम लीला केवल एक मंचन नहीं, बल्कि श्रद्धा और अनुशासन की मिसाल है। 1928 में अंग्रेजी शासनकाल से शुरू हुई इस परंपरा में जुड़े कलाकार आज भी सभी नियमों का पालन कर अपने-अपने किरदार को निभाते हैं।
श्रीराम का किरदार निभा रहे विभोर अग्रवाल का जीवन ही इस अनुशासन का प्रमाण है। विभोर अग्रवाल पेशे से इंश्योरेंस का काम करते हैं, लेकिन जब मंच पर मर्यादा पुरुषोत्तम का किरदार करते हैं तो पूरी तरह साधना और संयम में लीन हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि श्रीराम मेरे आराध्य हैं। उनका किरदार निभाना मेरे लिए जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है। मंचन के दौरान हर रोज क्षमा याचना पाठ करता हूं और केवल एक समय फलाहार करता हूं। करीब 15 वर्षों से क्लब से जुड़े विभोर अग्रवाल मानते हैं कि सबसे पुराने श्री राम लीला क्लब का हिस्सा होना स्वयं में गर्व की अनुभूति है।