Home बड़ी खबरेnews लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मियों की सेवा को कैजुअल कहना नैतिक अन्याय, BBMB से जुड़ा मामला

लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मियों की सेवा को कैजुअल कहना नैतिक अन्याय, BBMB से जुड़ा मामला

Calling long-serving employees casual is a moral injustice, a case involving the BBMB

by punjab himachal darpan

विवेक शर्मा :-पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के प्रति असमान व्यवहार पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मियों की सेवाओं को सिर्फ कैजुअल कहना नैतिक रूप से अन्यायपूर्ण है।

 

 

कोर्ट ने कहा कि जो लोग अपना पूरा कार्यकाल जनसेवा में लगा देते हैं, उन्हें जीवन के अंतिम वर्षों में असुरक्षा और अनिश्चितता के हवाले नहीं छोड़ा जा सकता।

जस्टिस संदीप मौदगिल की एकल पीठ ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के उन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की याचिका स्वीकार कर ली जो 1989 से लगातार सेवा दे रहे थे और नियमित कर्मचारियों जैसी ही ड्यूटी निभा रहे थे। अदालत ने उनकी सेवा को नियमित करने का निर्देश दिया है।

 

जस्टिस मौदगिल ने कहा कि समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14) केवल कानून के समक्ष समानता नहीं, बल्कि राज्य की निष्पक्ष कार्रवाई भी मांगता है। यह निष्पक्षता कहती है कि जिन्होंने अपना जीवन सार्वजनिक सेवा को समर्पित किया, उन्हें बुजुर्गावस्था में केवल उम्मीद के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता लगातार 1989 से डेली वेज वर्कर के रूप में काम कर रहे हैं और उनकी ड्यूटी स्थायी कर्मचारियों के समान, नियमित और आवश्यक रही है। लंबे समय से जारी और अविराम सार्वजनिक रोजगार को उचित मान्यता देना न्याय का तकाजा है। ये कर्मचारी दशकों तक मामूली वेतन पर काम करते रहे, यह व्यवस्था में व्याप्त असमानता की सख्त याद दिलाती है

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