हाईकोर्ट ने आयुष विभाग में नियुक्त आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर (एएमओ) को अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन, एमडी की डिग्री पूरी करने के लिए एक्सटेंशन (समय विस्तार) का लाभ देने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने 15 फरवरी और 21 फरवरी के पत्रों को रद्द करते हुए राज्य और अन्य प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता को अन्य समान रूप से स्थित व्यक्तियों की तरह ज्वाइनिंग के समय में विस्तार प्रदान करते हुए एमडी कोर्स पूरा करने की अनुमति दें।
न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ता की गलती केवल इतनी थी कि उसने विभाग के निर्देश का पालन करते हुए निर्धारित समय पर ज्वाइन किया। यह भेद करना कि वह ज्वाइन न करने के कारण एक सरकारी कर्मचारी बन गई है और इसलिए एक्सटेंशन की हकदार नहीं है, तर्कहीन है। याचिकाकर्ता जो चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्थान नई दिल्ली से द्रव्यगुण विज्ञान में एमडी कोर्स कर रही थी, ने 23 अगस्त 2023 के विज्ञापन के तहत आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर के पद के लिए आवेदन किया और 15 मार्च 2024 की अधिसूचना में अन्य उम्मीदवारों के साथ चयनित हुई।
अधिसूचना में चयनित उम्मीदवारों को 10 जून 2024 तक कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश था। एमडी कोर्स जारी होने के कारण याचिकाकर्ता ने अन्य उम्मीदवारों के साथ 26 मार्च 2024 को ज्वाइनिंग की समय सीमा बढ़ाने के लिए एक अभ्यावेदन दिया। हालांकि 10 जून 2024 तक कोई जवाब नहीं मिलने के कारण और अपनी नियुक्ति रद्द होने के डर से याचिकाकर्ता ने निर्धारित तिथि पर ज्वाइन कर लिया। याचिकाकर्ता के 10 जून 2024 को ज्वाइन करने के बाद आयुष विभाग ने 11 जून 2024 को एक पत्र जारी किया, जिसमें याचिकाकर्ता ने समान रूप से स्थित अन्य चयनित उम्मीदवारों को उनके एमडी कोर्स को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए ज्वाइनिंग के समय में विस्तार प्रदान करने की मांग की।
हालांकि विभाग ने याचिकाकर्ता को यह लाभ देने से मना कर दिया गया। विभाग ने तर्क दिया था कि ज्वाइन करने के बाद, वह एक सरकारी कर्मचारी बन गई है। इसलिए, लीव रूल्स (अवकाश नियमों) के तहत उपलब्ध छुट्टी के अलावा अन्य छुट्टी या अध्ययन अवकाश नहीं ले सकती। जबकि अन्य उम्मीदवारों ने जॉइन नहीं किया था, उन्हें फ्रेश कैंडिडेट (नए उम्मीदवार) माना जा रहा था। न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने केवल इसलिए ज्वाइन किया क्योंकि 10 जून 2024 तक उनके एक्सटेंशन के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी, जिससे उनकी नियुक्ति रद्द होने का खतरा था। कोर्ट ने कहा कि जब अन्य उम्मीदवारों को, जिन्होंने ज्वाइन नहीं किया था। बाद में 1 जून 2024 के पत्र के माध्यम से एक्सटेंशन दिया गया, तो याचिकाकर्ता को समान उपचार से वंचित करना अनुचित और मनमाना है।