शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मंगलवार को मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की गई। पुरोहित राज कुमार पाठक ने कहा ब्रह्मा जी की शक्ति होने से मां का यह स्वरूप ब्रह्मचारिणी नाम से सृष्टि में विख्यात हुआ। उन्होंने कहा इनका उद्भव ब्रह्मा जी के कमंडल से माना जाता है। ब्रह्मा जी सृष्टि के सृजन कर्ता हैं और ब्रह्मचारिणी उनकी शक्ति।
कहा कि जब मानसपुत्रों से सृष्टि का विस्तार नहीं हो सका, तो ब्रह्मा जी की इसी शक्ति ने सृष्टि का विस्तार किया। पुरोहित ने कहा ब्रह्मचारिणी देवी ज्ञान, वैराग्य और ध्यान की अधिष्ठात्री हैं। इनके एक हाथ में कमंडल और दूसरे में रुद्राक्ष की माला है। कहा इस दिन मां दुर्गा के उपासक जितना ध्यान करेंगे उतना ही उन्हें श्रेष्ठ फल प्राप्त हो