मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अगस्त 2023 में माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर में सुगम दर्शन प्रणाली शुरू की गई है। इस सुविधा के शुरू होने से मंदिर में भीड़ का प्रबंधन आसानी से हो रहा है। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों और विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों को मंदिर में सुगमता से दर्शन हो रहे हैं। ऑनलाइन लंगर बुकिंग और ऑनलाइन दर्शन जैसी डिजिटल सेवाएं भी आरंभ की गई हैं। प्रदेश के अन्य मंदिरों में भी यह सुविधा शीघ्र ही शुरू की जाएगी।
सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से प्राचीन मंदिरों, किलों और पुरातन स्थलों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। सरकार की ओर से अधिग्रहित मंदिरों में विभिन्न विकास कार्यों के लिए लगभग 37 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। सरकार राज्य की सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में प्रमुखता से कार्य कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने अब तक 550 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि स्वीकृत की है।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वाकांक्षी योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। माता श्रीचिंतपूर्णी मंदिर के लिए 56.26 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं और लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्य परिसर का निर्माण किया जा रहा है। माता ज्वालाजी और नयना देवी मंदिरों के लिए भी 100-100 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
मंदिरों के पुजारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा
सीएम सुक्खू ने कहा कि मंदिरों के पुजारियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस क्रम में हाल ही में माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर के 15 और माता श्री नयना देवी मंदिर के 10 पुजारियों को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के माध्यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है। हिमाचल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए लगभग 11.16 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इसके अतिरिक्त मंदिरों में नियमित पूजा-अर्चना और अधोसंरचना के बेहतर रखरखाव के लिए एक करोड़ रुपये की वार्षिक सहायता दी जा रही है। छोटे मंदिरों को पूजा-अर्चना के लिए दी जाने वाली राशि को वर्ष 2025-26 में दोगुना कर दिया गया है।
बैंटनी कैसल का जीर्णोद्धार कर ऐतिहासिक इमारत को एक नया रूप दिया
सीएम सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शिमला स्थित ऐतिहासिक बैंटनी कैसल का जीर्णोद्धार कर इस ऐतिहासिक इमारत को एक नया स्वरूप प्रदान किया है। सितंबर 2023 में यहां लाइट एंड साउंड शो शुरू किया गया है। इसके अतिरिक्त जल्द ही एक डिजिटल संग्रहालय भी स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना के लिए लगभग 25 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। परिसर में स्थानीय शिल्प और व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए पहाड़ी आंगन स्टॉल भी स्थापित किए गए हैं, जो दिल्ली हाट की तर्ज पर आकर्षण का केंद्र बन रहा है।