तीन-चार दिनों से बेटे से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था। परिजनों ने यूनिट में फोन किया तो पता चला कि लांस दफादार बलदेव चंद आतंकियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन में डटे हैं। आग्रह करने पर यूनिट ने 17 सितंबर को बलदेव की घर से आखिरी बार-बात करवाई। उस वक्त बलदेव ने कहा था,यहां नेटवर्क कमजोर है, ऑपरेशन जारी है। जैसे ही ऑपरेशन खत्म होगा, फिर फोन करूंगा।
किसी को नहीं पता था कि यह उनके बेटे की परिवार से अंतिम बातचीत होगी। जम्मू-कश्मीर में उधमपुर के सियोज धार खड्ड नाला में शुक्रवार देर रात आतंकियों से हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना के लांस दफेदार बलदेव चंद (35) वीरगति को प्राप्त हुए। बिलासपुर जिले की सनीहरा पंचायत के गांव थेह निवासी जवान की शहादत की खबर मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। शहादत की सूचना शुक्रवार आधी रात को मिली तो घर में सन्नाटा छा गया।
बूढ़े माता-पिता, पत्नी और सात साल के बेटे का रो-रोकर बुरा हाल है। बेटा दूसरी कक्षा में पढ़ रहा है और दरवाजे की ओर बार-बार देख रहा है, जैसे पिता की वापसी का इंतजार कर रहा हो। बलदेव चंद का जन्म ऐसे परिवार में हुआ जहां देश सेवा परंपरा है। उनके पिता विशन दास खुद सेना से सेवानिवृत्त हैं। चाचा और ताया तीनों भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं। देशभक्ति की इसी विरासत ने उन्हें 2011 में सेना में भर्ती होने को प्रेरित किया।
जुलाई में आए थे अंतिम बार छुट्टी
जुलाई में वे कुछ दिनों की छुट्टी पर घर आए थे और तीन अगस्त को ड्यूटी पर लौटे थे। परिवार को क्या पता था कि वह आखिरी बार सबको गले लगाकर जा रहे हैं। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि बलदेव मिलनसार, विनम्र और मददगार स्वभाव के थे।