एमएसएमई फॉर भारत कार्यक्रम के तहत आयोजित पैनल चर्चा में इन्वेस्ट पंजाब के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर अमित ढाका व पंजाब डेवलपमेंट कमिशन के सदस्य वैभव माहेश्वरी ने पंजाब सरकार के औद्योगिक विजन को उद्यमियों के समक्ष पेश किया। उन्होंने बताया कि सूबे की सरकार उद्योगपतियों की पुरानी अड़चनें को प्राथमिकता के साथ खत्म करने पर जोर दे रही है।
पैनल चर्चा के दौरान मोहाली इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एवं उद्यमी अनुराग अग्रवाल ने कहा कि पंजाब के एमएसएमई बंदरगाह से दूरी और उच्च मालभाड़े की चुनौती झेल रहे हैं। सरकार को औद्योगिक एस्टेट विकसित करने, व्यावहारिक नीतियां बनाने और निर्यात बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
एसोसिएशन के महासचिव एवं उद्यमी दिलप्रीत सिंह बोपाराय ने कहा, जमीन की ऊंची कीमतें नए व्यवसायों के लिए चुनौती हैं। अव्यावहारिक फायर नियम उद्योगों के विस्तार में बाधक हैं। सरकार को एकल विंडो सिस्टम लागू करना चाहिए और नीतियों को उद्योग अनुकूल बनाना चाहिए। उद्यमी केके सेठ ने कहा, पंजाब के उद्योगपति रियल एस्टेट में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्हें उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों, निर्यात और तकनीक अपनाकर व्यवसाय बढ़ाना चाहिए।
‘373’ फार्मूला और वन टाइम क्यूरी क्रांतिकारी कदम
पंजाब सरकार उद्योगों के विकास के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। इन्वेस्ट पंजाब एक ऐसा पोर्टल है, जो निवेशकों को पंजाब में अपना उद्यम या फैक्ट्री लगाने के लिए एक बेहद आसान और तीव्र प्रोसेस प्रदान करता है। इसका ‘373’ फार्मूला और वन टाइम क्यूरी इसकी सबसे बड़ी खासियत है। पंजाब में उद्योग स्थापित करने के लिए उद्यमी मंजूरी व अनुमोदन के लिए जैसे ही आवेदन करेगा, तो पहले 3 दिन जरूरी प्रक्रिया पूरी करने में लगेंगे। अगले 7 दिन में संबंधित उद्यमी के समक्ष उसकी परियोजना से संबंधी जरूरी क्यूरी यानी सवाल पेश किए जाएंगे। 3 दिन में उद्यमी उसका संतोषजनक जवाब देगा। उसके बाद 45 दिन के भीतर यह सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। 46वें दिन डीम्ड अप्रूवल मानी जाएगी। इस पोर्टल को शुरू करने के पीछे मान सरकार का उद्देश्य
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देना है। – अमित ढाका, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, इन्वेस्ट पंजाब
उद्यमी और सरकार के बीच बढ़ रहा विश्वास
हम दुनिया को यह बता रहे हैं कि पंजाब में उद्योगों के लिए निवेश प्रक्रिया बहुत आसान है लेकिन इससे पहले हमने यह महसूस किया कि सूबे में उद्यमियों के समक्ष जो अड़चनें हैं, उसे दूर किया जाए। हमारी पूरी टीम इसी के अध्ययन में जुटी हुई है। उद्योगों के लिए जगह की कमी बड़ा मुद्दा है। रद्द प्लॉटों को दोबारा रिज्यूम कराना, औद्योगिक प्लॉटों की नीलामी में देरी, इंडस्ट्रियल फोकल प्वाइंट में बुनियादी सुविधाओं की कमी इत्यादि कई मसले हमारे सामने आए। इन्हीं अड़चनों को सरकार ने काफी हद तक दूर कर दिया है। एमएसएमई की जो मांगें व समस्याएं हैं, उन भी पंजाब सरकार पूरी गंभीरता से काम कर रही है। पंजाब डेवलमेंट कमिशन एक थिक टैंक की तरह काम करते हुए औद्योगिक नीति स्तर पर जो कमियां हैं उसे दुरुस्त करने में जुटा हुआ है। हम उद्यमी और सरकार के
बीच विश्वास को स्थापित कर दूरियां कम कर रहे हैं और हर पॉलिसी रिफार्म के लिए तत्परता के साथ आगे बढ़ रहे हैं। औद्योगिक विकास में पंजाब लघु उद्योग एवं निर्यात निगम भी अहम भूमिका निभा रहा है।