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Punjab: अजनाला में अफ्रीकी स्वाइन बुखार का अलर्ट, जाने- कैसे फैलती है ये बीमारी?

Alert of African swine fever in Ajnala, know how this disease spreads?

by punjab himachal darpan

अजनाला में अफ्रीकी स्वाइन बुखार (ASF) के कई मामले सामने आए हैं. पशुपालन विभाग के सहायक उप निदेशक रविंदर सिंह कंग ने बताया कि यह कोई सामान्य फ्लू नहीं है, बल्कि केवल सूअरों को प्रभावित करने वाली एक वायरल बीमारी है. उन्होंने कहा कि कुछ फार्म में सूअर मर गए हैं और परीक्षण में कुछ नमूने पॉजिटिव पाए गए. इसे रोकने के लिए प्रभावित सूअरों को मारकर फार्म को पूरी तरह से सैनिटाइज किया जा रहा है.

बीमारी सिर्फ सूअरों को करती है प्रभावित

डब्ल्यूओएएच यानी विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ASF अत्यधिक संक्रामक है और घरेलू और जंगली सूअरों में 100 प्रतिशत तक मृत्यु दर हो सकती है. लेकिन यह इंसानों के लिए कोई खतरा नहीं है. रविंदर सिंह कंग ने स्पष्ट किया कि यह बीमारी अन्य जानवरों या लोगों में नहीं फैलती.

 

पंजाब सरकार ने अजनाला और अन्य बाढ़ प्रभावित इलाकों में डेंगू, मलेरिया और अन्य बीमारियों को रोकने के लिए फॉगिंग अभियान चलाया है. सरकार का कहना है कि हाल ही में आई भारी बारिश और बाढ़ के कारण इन बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है, इसलिए यह कदम जरूरी है.

लोग इस तरह से बरत सकते हैं सावधानी

पशुपालन विभाग और स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों से कहा है कि ASF केवल सूअरों को प्रभावित करता है, इसलिए किसी भी मृत या बीमार सूअर को छूने या उसे बाजार में बेचने से बचें. साथ ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वच्छता बनाए रखना और पानी जमा होने वाले स्थानों पर ध्यान देना जरूरी है.

 

मुख्यमंत्री ने की समीक्षा बैठक

बता दें मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि वे शुक्रवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के लिए एक समीक्षा बैठक करेंगे. इस बैठक में बाढ़ के प्रभाव को कम करने, प्रभावित लोगों को मुआवजा देने और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने जैसे कदमों पर चर्चा होगी. मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर भी लिखा कि इस बार ध्यान इस बात पर रहेगा कि राहत कार्य तेजी से और सही तरीके से पहुंचे.

AIIMS की राहत टीम ने किया काम

भारी मानसून बारिश के बाद AIIMS, नई दिल्ली के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने 6 से 9 सितंबर तक चार दिन का राहत मिशन चलाया. टीम ने बाढ़ प्रभावित जिलों में हजारों लोगों को जीवन रक्षक चिकित्सा सहायता दी. उन्होंने दूर-दराज के उन गांवों में भी काम किया, जहां पहले कभी कोई मेडिकल शिविर नहीं पहुंचा था.

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